Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
File Photo

    Loading

    नागपुर. शहर में हाल ही में हुई भारी बारिश के चलते जहां आम जनजीवन पर इसका असर पड़ा है, वहीं हाई कोर्ट के कामकाज पर भी संभवत: पहली बार इसका असर देखा गया है. हाई कोर्ट की छत टपकने का मामला उजागर होते ही अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को उचित कार्यवाही करने के निर्देश भी जारी कर दिए. इस मामले पर अदालत ने कहा कि इस अवस्था को देखते हुए स्वयं से प्रश्न किया जाए कि क्या ऐसी अवस्था में न्यायदान का सार्वभौम कार्य करना संभव हो सकेगा. इसका कोई जवाब नहीं दिखाई दे रहा है. हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से वकीलों को सुवधाएं आदि को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान इस मुद्दे को उठाया गया. 

    भुगतान नहीं होने पर ठेकेदार ने रोका काम

    याचिका पर सुनवाई के दौरान अधि. सुधीर पुराणिक ने कहा कि बारिश के कुछ दिन पहले तक सुधार कार्य चल रहा था. अब तक किए गए कार्यों का भुगतान नहीं होने के कारण संभवत: ठेकेदार ने कार्य रोक दिया है. जबकि सुधार कार्य को मंजूरी दी गई थी. ठेकेदार ने अब तक अपनी ओर से लगभग 1 करोड़ रुपए खर्च कर लिए हैं. अधि. पुराणिक ने कहा कि इसके अलावा इलेक्ट्रिकल्स और अन्य सिविल वर्क का काम भी पूरा किया जा चुका है लेकिन ठेकेदार को निधि उपलब्ध नहीं की गई है. राज्य सरकार की ओर से हाई कोर्ट में चल रहे कार्यों को तवज्जों नहीं दिए जाने की शिकायतें मिल रही है. यहीं कारण है कि जब इन कार्यों के लिए निधि का भुगतान करना होता है तो राज्य सरकार हाथ खिंच लेती है.

    लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ पर ध्यान दें सरकार

    सरकार की ओर से पैरवी कर रही सरकारी वकील केतकी जोशी ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील द्वारा उठाए गए मुद्दों पर राज्य सरकार से जानकारी ली जाएगी. संबंधित जिम्मेदार अधिकारी का शपथ पत्र प्रस्तुत भी किया जाएगा लेकिन इसके लिए कुछ समय मिलना जरूरी है. जिस पर अदालत का मानना था कि निश्चित ही सरकार को समय दिया जाएगा लेकिन उससे पहले यह जताना जरूरी है कि लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ न्याय व्यवस्था के प्रति राज्य सरकार की संवैधानिक जवाबदेही है. जिसमें न्याय व्यवस्था को सुचारू कामकाज के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने पर्याप्त निधि का आवंटन होना चाहिए. राज्य की नीति में दर्ज उत्तदायित्व के आर्टिकल 39-ए  और संविधान के अनुसार न्याय व्यवस्था को प्राथमिकता देना है. 

    कई समस्याएं हो सकती हैं उत्पन्न 

    अदालत ने भय जताते हुए कहा कि हाई कोर्ट में इन्फ्रास्ट्रक्चर और वित्तीय आवश्यकताओं पर तुरंत ध्यान देना चाहिए. अन्यथा इसके अभाव में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है. अत: जल्द ही निधि का प्रावधान कर आवंटन करने का अनुरोध भी किया. अदालत ने कहा कि कोर्ट की  छत टपकना, कोर्ट हाल, कोर्ट में जगह की कमी, कोर्ट बिल्डिंग के अभाव के कारण न्याय दान के मार्ग में रुकावट पैदा हो रही है. इन समस्याओं को हल करना राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है.