cleaning Workers, Nagpur
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    • 17 लाख रु. हर माह हो रहा खर्च
    • 200 रु. प्रति खड़ी देखभाल का भुगतान

    नागपुर. मनपा कर्मचारियों की जवाबदेही निर्धारित करने के लिए तत्कालीन मनपा आयुक्त वीरेन्द्र सिंह की ओर से कर्मचारियों को जीपीएस घड़ी देकर अनुशासन लाने का प्रयास किया गया था. योजना के अनुसार जहां कई अधिकारी और कर्मचारियों को घड़ियां दी गईं, वहीं विशेष रूप से पार्षदों की ओर से सफाई कर्मचारियों को लेकर हो रही चिल्लाहट को देखते हुए सफाई कर्मचारियों को भी घड़ियां देकर उनकी हाजिरी भी इसी से निर्धारित करने का नया नियम शुरू किया गया. जीपीएस घड़ियां हाजिरी से जोड़े जाने के कारण सफाई कर्मचारी घड़ियां पहनकर सेवाएं तो दे रहे थे लेकिन अब घड़ी के कांटे थम गए हैं. यहां तक कि प्रशासन ने भी इस दिशा में ध्यान देना बंद कर दिया. यहां तक कि अधिकांश सफाई कर्मचारियों के हाथों से घड़ियां गायब हो गई हैं. 

    कोई नहीं कर रहा ऑडिट

    जानकारों के अनुसार मनपा में किसी योजना का बंटाढार होना कोई नहीं बात नहीं है. हमेशा ही जोरशोर से कोई योजना शुरू की जाती है. यदि किसी आयुक्त ने योजना शुरू की तो उनके रहने तक उसका बदस्तूर पालन होता है. उनके जाने के बाद दूसरे आयुक्त आते ही ‘नया राजा, नया राज’ का सिलसिला शुरू हो जाता है. इसी तरह सत्तापक्ष में भी पुराने महापौर और पुराने स्थायी समिति सभापति की योजनाओं का भी हश्र होता है.

    आलम यह है कि शहर की सफाई सुनिश्चित करने और सफाई कर्मचारियों में अनुशासन लाने के लिए प्रति माह 17 लाख रु. खर्च करने का साहस तो मनपा ने किया. किंतु इसके क्रियान्वयन के प्रति उदासीनता बरती गई. जानकारों के अनुसार मनपा प्रति घड़ी 200 रु. देखभाल के लिए कम्पनी को अदा करती है किंतु घड़ियों की देखभाल कम्पनी द्वारा की जा रही है या नहीं. इसे लेकर कभी भी कम्पनी के कामकाज का ऑडिट होता दिखाई नहीं देता है. 

    अन्य संसाधनों के लिए निधि नहीं

    • नियमों के अनुसार सफाई कर्मचारियों को मनपा की ओर से ड्रेस, साबून, झाडू, फावड़े, टोंकरियां, बुट, मास्क आदि वस्तुएं मुहैया कराना अनिवार्य है.
    • सफाई कर्मचारियों को वस्तुएं देने के लिए मनपा के पास निधि तो नहीं है लेकिन अनुशासन के नाम पर जीपीएस घड़ी पर करोड़ों खर्च किया जा रहा है.
    • 5,000 रु. प्रति घड़ी के अनुसार मनपा की ओर से खरीदी की गई थी. इसके अलावा प्रति घड़ी 200 रु. प्रति माह देखभाल के लिए देने का समझौता कम्पनी के साथ किया गया. 
    • कई घड़ियों का आलम यह है कि कर्मचारी को जिस क्षेत्र में नियुक्त किया गया, वहां का लोकेशन तो नहीं दिखाया जाता इसके विपरीत विदेश का लोकेशन चिन्हांकित होता है. रखरखाव के अभाव में घड़ियों की सटिकता पर ही प्रश्नचिन्ह भी लग रहे हैं. 

    हाजिरी भ्रष्टाचार का बना जाल

    सूत्रों के अनुसार एक ओर कुछ कर्मचारी ईमानदारी के साथ काम पर लगे रहने के बाद भी घड़ी के कारण उनकी हाजिरी नहीं लगती है तो वहीं दूसरी ओर हाजिरी का पूरा रैकेट मनपा में संचालित हो रहा है. इस भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए कई बार प्रशासन को सुझाव भी दिए गए लेकिन इस पर पहल नहीं की गई. प्रशासकीय लापरवाही के चलते कर्मचारियों के वेतन भी काटे जा रहे हैं. हाजिरी भ्रष्टाचार का जाल इस कदर फैला हुआ है कि सटिक योजनाएं भी विफल हो रही हैं.