Pipla Fata, Nagpur, Tension

  • ऑनलाइन खरीदी थी लाइटर गन

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नागपुर. बिल्डर राजू वैद्य के परिवार को बंधक बनाने वाले जितेंद्र तुलसीराम भिसेन की आक्रमकता को देखते हुए पुलिस ने उसे ठोकने की तैयारी भी कर ली थी लेकिन प्राथमिकता कोई जनहानि के बगैर उसे पकड़ने की थी. इसीलिए पुलिस ने सूझबूझ से काम लिया. संजोग से उसकी बंदूक भी नकली निकली. जो लाइटर गन जितेंद्र के पास मिली वह ऑनलाइन शॉपिंग साइट से खरीदी गई थी. लेकिन ऑपरेशन पूरा होने तक कोई नहीं जानता था कि जितेंद्र के पास लाइटर गन है. इसीलिए पूरा ऑपरेशन असली बंदूक के हिसाब से ही प्लान किया गया. यदि जितेंद्र की गन असली होती और वह फायर करता तो पुलिस ने उसे ठोकने की तैयारी भी कर रखी थी. आला अधिकारियों के आदेश थे कि यदि गोली चलाने की नौबत आती है तो कमर के नीचे ही फायर किया जाए. लेकिन बहुत ही संवेदनशीलता के साथ पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. पुलिस थानों में जितेंद्र का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला है. उसका छोटा भाई नाबालिग है. उस पर चोरी-सेंधमारी के 7-8 मामले दर्ज होने की जानकारी मिली है. जितेंद्र पहले होटल में काम करता था. लॉकडाउन में उसकी नौकरी चली गई.

वीडियो देखकर बनाया प्लान

काम न होने के कारण जितेंद्र का खाली दिमाग शैतान का घर बन गया. उसने आसानी से पैसा कमाकर शहर से बाहर भागने का प्लान बना लिया. फिरौती में मिलने वाली रकम से वह खुदका रेस्टोरेंट खोलने और अच्छे परिवार में शादी करने का सपना देख लिया था. यू-ट्यूब पर उसने थ्रिलिंग फिल्मों के वीडियो देखें. आपराधिक घटनाओं से प्रेरित होकर उसने पूरी साजिश रची. इसके लिए उसे हथियारों की जरूरत थी लेकिन वह केवल बंधक बनाए गए लोगों को डराकर मोटी रकम वसूलना चाहता था. इसीलिए ऑनलाइन लाइटर गन खरीदी. यह लाइटर गन हूबहू असली पिस्तौल की तरह दिखती है. घर में घुसने से लेकर रकम लेने के बाद भागना कैसे है यह स्टडी भी उसने कर रखी थी. वह पिछले कई दिनों से वैद्य की गतिविधियों पर नजर रखे था. शुक्रवार को भी वह घर में घुसने के 2 घंटे पहले ही परिसर में दाखिल हो गया था और छिपकर बैठा था. वैद्य के घर से बाहर जाने के 1 घंटे बाद उसने भीतर प्रवेश किया.

फिल्मी सीन से कम नहीं था ऑपरेशन

यह पूरा ऑपरेशन किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था. मौके पर पहुंचते ही डिवीजन के एसीपी पालवे ने वैद्य से उनके पूरे घर की जानकारी मांगी. पूरा मैप तैयार किया गया. कहां-कहां रूम और दरवाजे है इसकी बारीकी से जानकारी लेने के बाद पुलिस परिसर में दाखिल हुई. जितेंद्र को पैसे के व्यवहार में व्यस्त रखा गया. पहले एक टीम ने ऊपरी माले पर स्थित परिजनों को छज्जे के जरिए बाहर निकाल लिया. काफी देर तक पुलिस कमरे के बाहर घात लगाए बैठी रही. संजोग से जिस कमरे में आरोपी और बंधक थे उसका दरवाजा खुला हुआ था. पुलिस ने मौका मिलते ही जितेंद्र को दबोच लिया. 

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8 जून तक पुलिस हिरासत

वैद्य की शिकायत पर जितेंद्र के खिलाफ विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया. शनिवार को पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया. अदालत ने उसे 8 जून तक पुलिस हिरासत में रखने के आदेश दिए है. अब पुलिस जितेंद्र से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ले रही है. पुलिस का मानना है कि जितेंद्र पूरी तैयारी के साथ घर में घुसा था. आमतौर पर इस तरह की घटना में अपराधी विचलित होकर या घबरा कर कोई कदम उठा लेते है लेकिन वह बहुत ही शातिर तरीके से काम कर रहा था. शुरुआत में तो वह घर के सीसीटीवी कैमरों से ही सभी गतिविधियों पर नजर रखे हुए था. बड़ी संख्या में पुलिस बल को पहुंचते देख भी वह घबराया नहीं. कुछ समय बाद अधिकारियों ने सीसीटीवी कैमरों का कनेक्शन ही कटवा दिया और उसे बाहर हो रही गतिविधियां पता चलने बंद हो गई.