Instructions for submitting fire audit
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  • पार्किंग तक की जगह नहीं, एक ही प्रवेश द्वार
  • 750 इमारतें खतरनाक
  • 14 निजी अस्पताल भी शामिल
  • 313 हॉस्पिटल को दिया था नोटिस

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नागपुर. भंडारा के सरकारी अस्पताल में आग की घटना में 10 बच्चों की जान चली गई. अब दुर्घटना के बाद मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल तक पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहे हैं. वहीं परिवार को मुआवजा की भी घोषणा कर दी. लापरवाही केवल भंडारा के अस्पताल में ही नहीं हुई, बल्कि अब भी अनेक निजी और सरकारी अस्पतालों में आग से बचने के उपायों का अभाव है. सिटी के मेयो, मेडिकल, आयुर्वेदिक महाविद्यालय व अस्पताल के साथ ही कई निजी अस्पतालों में भी स्थिति खतरनाक होने की जानकारी सामने आई है. कुछ निजी अस्पतालों में तो वर्षों से फायर ऑडिट तक नहीं हुआ है.

महानगरपालिका के अग्निशमन विभाग ने शहर की ७५० इमारतों को धोखादायक घोषित किया है. इनमें मेयो व आयुर्वेदिक कॉलेज के ४3 यूनिट सहित १४ निजी अस्पतालों का समावेश है. अग्निशमन यंत्रणा नहीं होने के करण ही उक्त सभी इमारतें खतरनाक बन गई हैं. मनपा की वेबसाइट पर सिटी की कुल धोखादायक इमारतों की सूची घोषित की गई है, इनमें अस्पतालों के साथ ही शिक्षण संस्था, रेस्टोरेंट, बार, उद्योग तथा निवासी इमारतों का समावेश है. इतना ही नहीं मनपा के अग्निशमन विभाग ने ६० इमारतों में जलापूर्ति भी बंद करने का सुझाव जलप्रदाय विभाग व ओसीडब्ल्यू को दिया है. वहीं महावितरण को बिजली कनेक्शन बंद करने के लिए भी कहा गया है. लेकिन अब तक न ही बिजली कनेक्शन काटा गया है और न ही पानी बंद किया गया है.

विभागों के बीच तालमेल का अभाव

अग्निशमन विभाग ने १,८४४ इमारतों का निरीक्षण किया. इनमें से शहर के 3१3 अस्पतालों में अग्निशमन व्यवस्था के बारे में निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के बाद विभाग ने सभी को अग्निशमन उपकरण लगाने के लिए नोटिस भी जारी किया. कुछ अस्पतालों ने उपकरण लगाए भी, लेकिन अब भी कई अस्पतालों द्वारा टालमटोल किया जा रहा है. सिटी के अतिव्यस्त इलाकों में बने अस्पतालों में स्थिति यह है कि भीतर प्रवेश करने और निकलने के लिए एक ही दरवाजे का इस्तेमाल किया जाता है.

कुछ प्राइवेट अस्पतालों में पार्किंग की भी जगह नहीं है. जबकि आग की घटना के वक्त वाहनों की पार्किंग भी जानलेवा साबित होती है. दरअसल विभागों के बीच आपसी तालमेल का अभाव भी दिखाई देता है. वहीं कई बार पैनाल्टी लगाकर छोड़ देने का ही नतीजा है कि अनहोनी होती है. जब तक सख्ती नहीं बरती जाएगी और हर विभाग अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित नहीं करेगा, इस तरह की घटनाओं से बच पाना मुश्किल है.