चौड़ी सड़कों पर ऑड-ईवन की जरूरत ही नहीं

  • व्यापारियों ने निगमायुक्त के आदेश पर उठाए सवाल

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नागपुर. पिछले 70 दिनों से कोरोना संक्रमण के चलते पूरी सिटी लॉकडाउन की हालत में पस्त हो गई. अब तो व्यापारीगण ही नहीं, बल्कि जनता भी बंद से त्रस्त हो गई है. सभी यह मान चुके हैं कि कोरोना के साथ ही अपनी लाइफ स्टाइल बदलकर दिनचर्या पूरी तरह बहाल करना ही है तो फिर लॉकडाउन को पूरी तरह क्यों नहीं खोल दिया जाता. प्रतिबंधित एरिया को छोड़कर शेष सिटी में जीवन को पूर्ववत कर दिया जाना चाहिए.

सरकार के निर्देश पर मनपा आयुक्त ने 30 जून तक चरणबद्ध तरीके से धीरे-धीरे सिटी को खोलने की घोषणा की है, जिसमें 5 जून से शुरू होने वाले दूसरे चरण में सभी मार्केट, मार्केट एरिया और दूकानों को शर्तों के अनुसार सुबह 9 से शाम 5 बजे तक व्यापार करने की अनुमति शामिल है. इसी चरण में गैर-अत्यावश्यक वस्तुओं की दूकानों को ‘ऑड-ईवन’ सिस्टम से खोले जाने की घोषणा आयुक्त ने की है, जिसमें सम तारीखों यानी 2, 4, 6 आदि तारीखों में सड़क की एक ओर की दूकानें और विषम तारीखों जैसे 1,3,5 आदि तारीखों में रोड की दूसरी ओर की दूकानों को खोलने की अनुमति होगी.

ऐसा इसलिए कि रोड पर भीड़ न हो और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अच्छी तरह से हो सके. उनके इस आदेश पर कई व्यापारियों ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि सिटी की सड़कें दोनों ओर से इतनी चौड़ी हैं कि ऑड-ईवन की जरूरत नहीं है. हर दिन सभी दूकानें खोलकर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सकता है.

चंद्रशेखर ने बनाई थीं चौड़ी सड़कें : संजय खुले
व्यापारी नेता व सामाजिक कार्यकर्ता संजय खुले ने कहा कि शहीद चौक, इतवारी से लेकर तो गांधी पुतले तक की सड़क का ही उदाहरण लें तो तत्कालीन मनपा आयुक्त टी.चंद्रशेखर ने 60 फुट चौड़ा कर दिया है. दूकानों के सामने पार्किंग की जगहें हैं तो उसके बाद फुटपाथ है और फिर सड़क हैं. गांधीबाग हो या इतवारी, यहां तक कि महल, नंदनवन, वर्धमाननगर, जरीपटका, सदर के व्यापारिक इलाकों में भी काफी चौड़ी सड़कें हैं. वहीं कामठी रोड में मोतीबाग से गुरुद्वारा तक इतनी चौड़ी सड़कें हैं कि दोनों ओर की दूकानें खोली जाएं तो भी कोई खतरा नहीं है. लॉकडाउन के कारण पहले से ही व्यापारियों की कमर टूटी हुई है कि अब ऐसे बेसिर-पैर के फार्मूले लगाकर बाजार का कबाड़ा किया जा रहा है.

गलियां भी 9 मीटर चौड़ी : जैन
कांग्रेस कमेटी के महासचिव रिंकू जैन ने कहा कि निकालस मंदिर जैसे घनी बस्तियों में भी सड़कें काफी चौड़ी हैं. सिटी में अधिकतर व्यापारिक क्षेत्र की गलियों को भी 9 मीटर चौड़ा बनाया गया है. अधिकतर दूकानों के सामने पार्किंग की जगह भी है. काम्प्लेक्स में पार्किंग की व्यवस्था है और सोशल डिस्टेंसिंग के लिए भी काफी जगहें हैं. वैसे भी हर दूकान में ग्राहकों की भारी भीड़ नहीं होती है. उन्होंने एक सवाल यह भी उठाया कि गांधीसागर तालाब के 3 ओर काफी दूकानें हैं जो सड़क के एक ही साइड में हैं, दूसरी ओर तालाब है. ऐसे में यहां तो ऑड-ईवन का फार्मूला लागू करने का कोई मतलब नहीं है.

सेन्ट्रल एवेन्यू में पहले से सोशल डिस्टेंसिंग : चोटाई
सेन्ट्रल एवेन्यू स्थित कार एक्ससरीज के व्यापारी अतुल चोटाई ने कहा कि अधिकतर मुख्य रोड के बीच में डिवाइडर हैं. सेन्ट्रल एवेन्यू को दशकों पर डिजाइन किया गया था. यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पहले से ही पालन भी होता है. दूकान के बाद कवर्ड फुटपाथ, फिर सर्विस लेन उसके बाद सड़क और फिर बड़े-बड़े रोड डिवाइडर भी बनाए हुए हैं. यहां ऑड-ईवन करके मुंढे द्वारा व्यापारियों की कौनसी हित की बात सोच रहे हैं. वेस्ट हाईकोर्ट रोड, मानेवाड़ा सीमेन्ट रोड, सदर रोड पूरी तरह से मार्केट रोड ही हैं. ये सड़कें काफी चौड़ी हैं और बीच में डिवाइडर हैं. इस सड़कों में तो दोनों ही ओर की दूकानें हर रोज खोली जा सकती हैं, क्योंकि दोनों ओर की दूकानों का दूर-दूर तक संपर्क ही नहीं. सिटी के बाजार परिसर में स्थित कुछ गलियां ही हैं जहां ऑड-ईवन सार्थक हो सकता है. पूरी सिटी में इसे लागू करना जरूरी नहीं है.

क्या मुंढे ने इन रास्तों को देखा है : पाठक
बीजेपी के युवा नेता अमित पाठक ने कहा कि ऐसा लगता है ऑरेंज सिटी के भूगोल के बारे में मुंढे कुछ जानते नहीं हैं. सेंट्रल बाजार रोड की 11 मंजिल बिल्डिंग से लेकर तो वीआरसीई गेट तक एक तरफ ही दूकानें और व्यावासायिक प्रतिष्ठान हैं. उसी तरह अमरावती रोड पर भोले पेट्रोल पंप चौक से रविनगर चौक तक भी एक तरफ ही दूकानें हैं. इस रास्ते पर तो निगमायुक्त आते-जाते भी होंगे. लेकिन उसके बाद भी ऑड-ईवन का फार्मूला लाद दिया गया. आखिर एयरकंडिशन्ड कार्यालयों में बैठकर कागजों पर योजना बनाने वाले मनपा के अधिकारी सड़कों पर वास्तविक हालात देखकर कोई योजना क्यों नहीं बनाते.