File Photo (Representative Image)
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    नागपुर. रेमडेसिविर इंजेक्शन के बाद मौकापरस्त लोगों ने टोसिलिजुमैब इंजेक्शन की कालाबाजारी शुरू कर दी है. जोन- 2 की डीसीपी विनीता साहू को जानकारी मिली थी कि कुछ लोग टोसिलिजुमैब इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे हैं. उन्होंने अपने विशेष दस्ते को कार्रवाई के आदेश दिए. पुलिस ने आरोपियों से संपर्क किया. 1 लाख रुपये में इंजेक्शन देने का सौदा हुआ.

    पुलिस ने जाल बिछाकर 2 डॉक्टर सहित 3 युवकों को गिरफ्तार कर लिया. पकड़े गए आरोपियों में मरारटोली निवासी विशेष उर्फ सोनू जीवनलाल बाकट (26), भागीरथी अपार्टमेंट, नरेंद्रनगर निवासी रामफल लोलर वैश्य (24) और सचिन अशोक गेवरीकर (20) का समावेश है. तीनों मूलत: बालाघाट जिले के रहने वाले हैं. एक्टेमरा कंपनी की टोसिलिजुमैब इंजेक्शन की एमआरपी 40,600 रुपये है. कोरोना मरीजों को लास्ट स्टेज पर यह इंजेक्शन दिया जाता है.

    शहर में इस इंजेक्शन की किल्लत है. इसीलिए कुछ लोग इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे हैं. साहू को मिली जानकारी के आधार पर पुलिस दस्ते ने ग्राहक बनकर आरोपियों से संपर्क किया. आरोपियों ने अपने पास इंजेक्शन उपलब्ध होने की जानकारी दी और 1 लाख रुपये में सौदा तय किया. सचिन को इंजेक्शन की डिलीवरी करने के लिए अमरावती रोड पर भेजा गया. पुलिस ने लॉ कॉलेज चौक के समीप उसे हिरासत में लिया. 

    28 तक पुलिस हिरासत 

    पूछताछ करने पर उसने विशेष और रामफल का नाम बताया. उन दोनों के दंदे अस्पताल के समीप कैनल रोड पर खड़े होने की जानकारी दी. तुरंत पुलिस ने विशेष और रामफल को भी हिरासत में ले लिया. उनके खिलाफ अंबाझरी थाने में धोखाधड़ी सहित दवा व सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया. तीनों एक ही गांव के रहने वाले हैं और दोस्त हैं. सचिन बीए प्रथम वर्ष में पढ़ता है जबकि विशेष और रामफल बीएचएमएस डॉक्टर हैं. आरोपियों ने इंजेक्शन कहां से और कब खरीदा इस बारे में पूछताछ की जा रही है.

    बुधवार को अंबाझरी पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया. अदालत ने 28 मई तक पुलिस हिरासत में रखने के आदेश दिए हैं. डीसीपी साहू के मार्गदर्शन में सब-इंस्पेक्टर कुणाल धुरत, हेड कांस्टेबल रामदास नेरकर, कांस्टेबल आशीष वानखेड़े और संतोष शेंद्रे ने कार्रवाई की.