7 टूकड़ों में मिली थी अज्ञात लाश, मामला सुलझाया-पीआई हिवरे को केन्द्रीय गृहमंत्री पदक

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  • ई-रिक्शा चालक के अंधे कत्ल का मामला

नागपुर. 11 जुलाई 2019, गांधीसागर तालाब, शाम करीब 6 बजे बोरे में अज्ञात युवक की सिर, हाथ और पैर कटी 7 टूकड़ों में मिली लाश, क्राइम ब्रांच की यूनिट-3 ने अंधे कत्ल की जांच शुरू, जांच अधिकारी पीआई नरेन्द्र हिवरे और उनकी टीम द्वारा 400 से अधिक सीसीटीवी रिकार्डिंग जांच, 25 दिनों तक चौबीसों घंटों की कड़ी मेहनत और DNA जांच के बाद 2 हत्यारों के हाथ में हथकड़ी. यह नागपुर शहर पुलिस द्वारा जेम्स बांड 007 की तरह सुलझाए उस अंधे कत्ल का सारांश है जिस पर पूरे राज्य की नजर थी. लेकिन अब केन्द्रीय गृह मंत्रालय दिल्ली ने भी इस अंधे कत्ल को सुलझाने वाले पुलिस अधिकारी पीआई नरेन्द्र हिवरे को सलाम करते हुए गृहमंत्री पदक से सम्मानित करने की घोषणा की. विदर्भ में यह पुरस्कार पाने वाले पीआई हिवरे एकमात्र पुलिस अधिकारी हैं. 

CP ने भी दिया 50,000 रुपये का पुरस्कार
केन्द्रीय गृहमंत्री पुरस्कार की जानकारी मिलते ही शहर पुलिस आयुक्त डा. भूषण कुमार उपाध्याय ने 50,000 रुपये का पुरस्कार की घोषणा की. सितंबर 2019 में पुलिस महासंचालक, महाराष्ट्र राज्य द्वारा इसे राज्य की सर्वश्रष्ठ पुलिस जांच घोषित करते हुए 10,000 रुपये का पुरस्कार दिया गया था. उक्त मामले की जांच सीपी डा. उपाध्याय, तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त रविन्द्र कदम, अपर पुलिस आयुक्त डीसीपी नीलेश भरणे, क्राइम बांच के डीसीपी गजानन राजमाने, एसीपी राहुल माकणीकर के मार्गदर्शन में पीआई हिवरे के नेतृत्व में की गई थी. 

ई-रिक्शे के एरिया की लड़ाई में की गई थी हत्या
उक्त अंधे और भयावह कत्ल को सुलझाना शहर पुलिस के लिए नाक का सवाल बन गया था क्योंकि अज्ञात हत्यारे गिरफ्त से दूर थे. लापता लोगों के डीएनए जांच के बाद मृतक की पहचान आवलेनगर निवासी सुधाकर देवीदास रंगारी (48) के तौर पर हुई. 400 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग, गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी, फारेंसिक साइंस और डीएनए जांच के लिए मेडिकल साइंस की मदद से आखिर 25 दिनों के बाद पीआई हिवरे और उनकी टीम ने तांडापेठ निवासी राहुल पद्माकर भोतमांगे और राहूल ज्ञानेश्वर धापोडकर को हत्या के आरोप में धरदबोचा गया.

इतनी नृशंस हत्या की वजह सुनने के बाद पुलिस भी हैरान रह गई. आरोपियों ने बताया कि सुधाकर भी ई-रिक्शा चलाता था और अक्सर उनके एरिया में आकर सवारी लेता था जो उन्हें पसंद नहीं था. इसी बात से पर कुछ बहस के बाद उन्होंने सुधाकर की नृशंस हत्या कर दी. पहचान ना हो सके इसलिए सुधाकर का सिर, हाथ व पैर भी काटकर बोरे में भरे और गांधीसागर तालाब में फेंक दिया लेकिन कानून से बच नहीं सके.