Electric Bus

  • मंजूरी के बावजूद अटक गया प्रस्ताव

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नागपुर. शहरवासियों को दी जा रही आपली बस सेवा को लेकर मनपा कितनी सचेत है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि परिवहन सेवा के इस बेडे में एक वर्ष पूर्व 40 इलेक्ट्रीक बसों को शामिल करने के प्रस्ताव को हरी झंडी तो दी गई, किंतु मंजूरी के बावजूद अबतक बसों का इंतजार ही चल रहा है. जबकि ना तो परिवहन विभाग और ना ही परिवहन समिति की ओर से ही इसे गंभीरता से लिया जा रहा है. केवल बसों के प्रस्ताव को मंजूरी देने की खानापूर्ति कर परिवहन विभाग अब ठंडा पड़ा हुआ है.

केंद्र से प्रति बस 45 लाख का अनुदान

बताया जाता है कि परिवहन सेवा में 40 बसों को शामिल करने के लिए टेंडर मंगाया गया था. जिसमें मेसर्स ईवीईवाय ट्रांसपोर्ट कम्पनी की ओर से प्रति किलोमीटर 72.99 रु. का दर दिया था. लेकिन प्रशासन की ओर से कम्पनी के प्रमुखों से चर्चा की गई. जिसके बाद 66.33 रु. प्रति किलोमीटर की दर से इलेक्ट्रीक बसों का संचालन करने करने का निर्णय लिया गया. बसों के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्रति बस 45 लाख रु. का अनुदान दिया जाना है. इन बसों में नियुक्त कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन के अनुसार वेतन देने का भी निर्णय लिया गया था. साथ ही मंजूर किए गए प्रस्ताव के अनुसार शीघ्र समझौता करने का भी निर्णय लिया गया. 

विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

सूत्रों के अनुसार लाकडाऊन से समय से आपली बस के पहिए थम गए थे. सरकार की ओर से मिशन बिगीन अगेन अंतर्गत छूट देने के बावजूद परिवहन विभाग की ओर से बसों का संचालन शुरू करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए. बसों पर निर्भर लोगों की ओर से आवाज उठाए जाने के बाद किसी तरह से हिंगना, वाडी और अन्य औद्योगिक क्षेत्र के लिए तो बसों का संचालन शुरू किया गया, लेकिन शहर में सिटी बस पूरी तरह से शुरू नहीं की गई.

शहर में भी कुछ ही लंबी दूरी की बसों का संचालन शुरू किया गया. इस तरह से परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर अब सवाल उठाए जा रहे हैं. हालांकि परिवहन सेवा नफे-नुकसान को देखते हुए संचालित नहीं होने के दावे तो किए जाते रहे हैं, लेकिन लोगों को हो रही परेशानियों के बावजूद बस पूरी तरह शुरू नहीं किए जाने से निश्चित ही नुकसान को कम करने के लिए इस तरह का निर्णय होने की आशंका जताई जा रही है.