- 1,63,752 की मई में राज्य को करना था आपूर्ति
- 2,55,114 की जून में रहेगी आवश्यकता
नागपुर. कोरोना महामारी की त्रासदी और उपायों को लेकर हाई कोर्ट की ओर से स्वयं संज्ञान लेकर इसे जनहित में स्वीकार किया गया. याचिका पर लगातार सुनवाई के दौरान दिए गए निर्देशों के अनुसार अब ऑक्सीजन, बेड और रेमडेसिविर इंजेक्शन का मसला तो हल हो गया लेकिन कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस जैसी घातक बीमारी फैलने लगी है. महामारी के रूप में फैलती जा रही इस बीमारी को लेकर अब हाई कोर्ट ने गंभीरता जताई.
गुरुवार को सुनवाई के दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से रखे गए आंकड़ों के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अविनाश घारोटे ने मरीजों की संख्या के अनुसार देशभर में आवश्यक दवाओं की तुलना में उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या किया जा रहा है, इसकी जानकारी केंद्र सरकार को देने के आदेश दिए. अदालत मित्र के रूप में अधि. श्रीरंग भांडारकर, इंटरविनर के रूप में अधि. अनिलकुमार मूलचंदानी, अधि. मितिशा कोटेचा, अधि. रुख्सार शेख, अधि. श्वेता बुरबुरे, अधि. दीपाली कर्नेवार ने पैरवी की.
15 दिनों तक उपचार देना जरूरी
आईएमए की ओर से पैरवी कर रहे अधि. भानुदास कुलकर्णी ने कहा कि ब्लैक फंगस के मरीज को प्रतिदिन 5 वायल की आवश्यकता होती है. यहां तक कि उसका 10 से 15 दिनों तक उपचार जरूरी होता है. इस तरह से प्रत्येक मरीज को 50 वायल की आवश्यकता होती है. यदि देशभर में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या देखी जाए तो उसकी तुलना में दवा का उत्पादन कम है. इसका खुलासा केंद्र सरकार के हलफनामा में ही हुआ है. राज्य में मरीजों की संख्या को देखते हुए मई 2021 में 1,63,752 की आवश्यकता थी, जबकि जून में 1,55,114 की आवश्यकता है. वर्तमान में 2,275 मरीज राज्यभर में है जिसके अनुसार अम्फोटेरिसिन बी लिपिड कॉम्प्लेक्स के प्रतिदिन 11,375 वायल की आवश्यकता है. इस दवा के उत्पादन का नियमन पूरी तरह केंद्र सरकार के अधिकार में है जिससे केंद्र सरकार को उचित प्रयास करने चाहिए.
देश के कुल एक्टिव मरीजों में 20 प्रश महाराष्ट्र में
सुनवाई के दौरान अदालत मित्र ने कहा कि देशभर में ब्लैक फंगस के कुल एक्टिव मरीजों में महाराष्ट्र में 20 प्रतिशत मरीज हैं. यदि यह सत्य है तो केंद्र सरकार की ओर से राज्य को अधिक दवा मिलनी चाहिए. वर्धा में एक कम्पनी को दवा के उत्पादन की अनुमति दी गई है. जहां 4,500 वायल प्रतिदिन का उत्पादन हो रहा है. यहां निर्मित दवा केंद्र को जा रही है या फिर सीधे राज्य सरकार को उपलब्ध कराई जा रही है इसका खुलासा करने के निर्देश केंद्र और राज्य सरकार को दिए. अदालत का मानना था कि केंद्र को उत्पादन बढ़ाने का सुझाव भले ही दिया गया हो लेकिन केंद्र से इस संदर्भ में प्रयासों के बावजूद उत्पादक कम्पनियों द्वारा जब तक पहल नहीं की जाती तब तक यह संभव नहीं हो सकता है. अत: नागपुर और अमरावती के विभागीय आयुक्तों को उनके अधिकार क्षेत्र में आनेवाली फार्मा कम्पनियों में इस दवा के उत्पादन बढ़ाने की संभावनाएं खोजने के आदेश भी दिए गए.