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  • पॉजिटिव मरीजों की मिलेगी सटीक जानकारी, फर्जीवाडे पर लगेगी रोक

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नागपुर. बेलगाम कोरोना ने एक बार फिर दहशत मचानी शुरू कर दी है. शनिवार को शहर में 2,200 से अधिक पॉजिटिव मिले हैं. कोरोना मरीजों के आकड़े के मामले में नागपुर शहर देश में दूसरे स्थान पर पहुंच चुका है. कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के लिए कई लापरवाहियां शामिल हैं. इनमें से एक है कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पर बार कोड का न होना. इस खामी का लोगों ने भरपूर फायदा उठाया और कोरोना टेस्ट की फर्जी रिपोर्ट लेकर जहां-तहां घूमते रहे.

बहुत आसान है PDF में बदलाव

उल्लेखनीय है कि प्रशासन ने शहर की कुछ सीमित पैथालॉजी लैब को कोरोना जांच की अनुमति दी है. इसके अलावा मेयो और मेडिकल में भी मरीजों या संदिग्धों के सैंपल लिये जा रहे हैं. अधिकांश पैथालॉजी लैब मरीजों की रिपोर्ट कंप्यूटर द्वारा जनरेट पीडीएफ फार्मेट में उपलब्ध कराई जा रही है. इस रिपोर्ट पर बार कोड नहीं दिया जा रहा है.अनलॉक प्रक्रिया के दौरान लोगों ने इस फार्मेट का बेजा फायदा उठाया. सरकार द्वारा एयरपोर्ट और स्टेशनों पर पहले कोरोना टेस्ट रिपोर्ट अनिवार्य की गई थी. लोगों ने अपने करीबी लोगों से टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट अपना नाम बदलाकर उसे अपनी फर्जी टेस्ट रिपोर्ट बना दी और हर तरफ घूमते रहे. यदि इनमें से कोई पॉजिटिव रहा हो तो समझा जा सकता है कि वह कितने लोगों को कोरोना मरीज बनाने का करिअर बना होगा. 

पुणे, मुंबई में लागू तो सिटी में क्यों नहीं

वहीं, यदि कोरोना जांच रिपोर्ट पर बार कोड हो तो स्टेशन और एयरपोर्ट या फिर हाईवे पर भी अनिवार्यता की स्थिति में जांच आसान हो जायेगी. इससे संदिग्ध मरीजों को पहले ही ट्रेस करके कोरोना संक्रमण पर लगाम कसने में मदद मिलेगी. मुंबई और पुणे में अधिकांश पैथोलॉजी लैब से दी जा रही कोरोना रिपोर्ट पर बार कोड लगाकर दिया जा रहा है. इससे रिपोर्ट के फर्जीवाड़े को रोकने में सहायता मिल रही है. अब यदि मुंबई और पुणे में बार कोड अनिवार्य किया जा सकता है तो फिर नागपुर में इसे अभी तक अनिवार्य क्यों नहीं किया गया. इसमें कोई दोराय नहीं कि यदि आज की स्थिति में बार कोड अनिवार्य कर दिया जाये तो रिपोर्ट के फर्जीवाड़े पर लगाम कसी जा सकती है. साथ ही ट्रेसिंग के दौरान गलत जानकारी देने वालों को आसानी से पहचाना जा सकेगा.