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  • नागपुर जिले के 1,820 गांवों में नहीं जा रही बस
  • सिर्फ 4 प्रतिशत गांवों तक ही है पहुंच

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नागपुर. जिले के 1,820 गांव आज भी एसटी की पहुंच से कोसों दूर हैं. जिले की 14 तहसीलों में कुल 1900 गांव हैं, जिनमें से एसटी बस स्टैंड से सिर्फ 80 गांवों के लिए ही बस चल रही है. तहसील क्षेत्र नागपुर शहर, नागपुर ग्रामीण, हिंगना, कामठी, मौंदा, उमरेड, भिवापुर, कुही, रामटेक, पारशिवनी, सावनेर, कलमेश्वर, काटोल और नरखेड़ के 1,900 गांवों में से 1,820 में आज भी एसटी की बस नहीं पहुंच रही है. एसटी को लेकर स्लोगन हुआ करता था कि ‘जहां गांव-वहां एसटी.’ लेकिन आज यह एकदम उलटा साबित हो रहा है. जिले के सिर्फ 4 प्रतिशत गांवों में ही एसटी पहुंच पा रही है. 96 प्रतिशत गांवों में आज भी एसटी बस की प्रतीक्षा है. जिले का एक बड़ा हिस्सा बस सुविधाओं से आज भी वंचित है.

किया जा रहा खोखला दावा

गणेशपेठ एसटी बस स्टैंड से यात्रा करने वाले सिर्फ 75 से 80 गांव के ही यात्री होते हैं. इतने ही गांव तक एसटी की पहुंच है. दावा किया जाता है कि एसटी की पहुंच लगभग सभी गांवों तक है, लेकिन हकीकत में नागपुर के 1,000 से अधिक गांवों में एसटी बस की सुविधा नहीं मिल पा रही है.

गांव से आवेदन आने का कर रहे इंतजार

बस सेवा से दूर गांव जहां आज तक एसटी के गांव पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ नागपुर डिवीजन गांव से बस डिमांड के लिए आवेदन का इंतजार कर रहा है. एसटी बस की सेवा शुरू करने के लिए जब तक डिवीजन के पास आवेदन नहीं आता तब तक छूटे हुए गांवों में बस की सेवा शुरू नहीं होगी. ऐसे में नुकसान गांव के यात्रियों को उठाना पड़ रहा है.    

सरपंच भी जिम्मेदार

जिन गांवों में बस की पहुंच आज तक नहीं है उसके लिए कहीं न कहीं  वहां के सरपंच और जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार हैं. किसी भी गांव में एसटी बस की सुविधा शुरू करने के लिए गांव के सरपंच को डिवीजन आफिस में आवेदन करना होता है. जिन गांवों के आवेदन आते हैं वहां पर डिवीजन आफिस एसटी बस स्टैंड को निर्देशित कर बस सेवा करने के लिए कहता है. जिन गांवों से डिमांड नहीं आई है वहां पर बस सेवा आज तक बंद है.

मैनेजमेंट ने कहा- जहां डिमांड वहां जा रही बस

एसटी बस स्टैंड मैनेजमेंट का इस मामले में कहना है कि एसटी बस स्टैंड में जितने गांव से डिमांड आई है, एसटी ने उतने ही गांवों में बस भेजी है. डिमांड वाले सभी गांवों में एसटी की बस जा रही है, जिसका लाभ ग्रामीण यात्री भी ले रहे हैं. जिन गांव के सरपंच और जनप्रतिनिधि बस की डिमांड करते हैं, हम वहां पर बस भेजते हैं.

अनुमति से पहले गांव जाती है डिवीजन की सर्वे बस

जिन गांवों में बस की सुविधा नहीं शुरू हुई है उसके सरपंच को मंडल के मापदंड का पालन करते हुए बस शुरू करने के लिए आवेदन करना होता है. मंडल द्वारा बस सेवा शुरू करने के लिए कुछ क्राइटेरिया बनाए गए हैं, जिसके अनुसार आवेदन आने पर मंडल की सर्वे बस उस गांव का सर्वे करती है. सर्वे में अगर सब सही होता है तो मंडल एसटी को बस सेवा शुरू करने निर्देशित करता है. अगर सर्वे में मापदंड पूरे नहीं होते तो मंडल बस सेवा शुरू करने की अनुमति नहीं देता.

जानिए… गांवों में बस सेवा शुरू करने क्या है क्राइटेरिया

  • गांव में पक्की सड़क.
  • बस मोड़ने के लिए पर्याप्त जगह.
  • बिजली के खंभे की ऊंचाई अधिक हो ताकि बस न टकराए.
  • गांव में बस के ड्राइवर और कंडक्टर के ठहरने की व्यवस्था.
  • यात्रियों की संख्या भी एक अहम हिस्सा है.

प्राइवेट गाड़ियां करने को मजबूर ग्रामीण

जानकारों का कहना है कि जिन गांवों में बस नहीं पहुंचती है उनमें ग्रामीणों को प्राइवेट गाड़ियां बुक करनी पड़ती है. इसके अलावा उनके लोकल जो भी साधन हैं, उससे वे शहर तक आते हैं जहां उन्हें बस मिल सके. ट्रेन से यात्रा करने के लिए भी इन्हें स्टेशन तक आने के लिए बस नहीं मिलती. इन्हें गाड़ियां बुक करनी पड़ती, जिनका किराया बहुत ज्यादा है. ऐसे में ग्रामीणों को भी बस की सुविधा मिलनी चाहिए.

जहां डिमांड है उन सभी गांव में जा रही बस

जिन गांव के सरपंच और जनप्रतिनिधियों ने बस के लिए डिवीजन में आवेदन किया था उन सभी गांवों में बस सेवा शुरू है. जिन गांव से आवेदन नहीं आए हैं वहां बस नहीं जा रही है. सरपंच अगर डिवीजन में आवेदन करता है तो सर्वे के बाद उस गांव में बस सेवा शुरू की जा सकती है.

– अनिल आमनेरकर, डिपो मैनेजर, एसटी बस स्टैंड, गणेशपेठ