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  • पालकों का सवाल, राज्यमंत्री के आदेश की भी फरवाह नहीं

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नागपुर. हाल ही में शिक्षा राज्यमंत्री बच्चू कडू ने शिक्षा विभाग और पालकों के प्रतिनिधि मंडल के साथ ली बैठक में स्पष्ट निर्देश दिये थे कि स्कूल फीस जमा करने के लिए पालकों से सख्ती न करे. लेकिन राज्यमंत्री का आदेश अब तक स्कूलों तक नहीं पहुंचा है. अधिकारियों की मनमर्जी का ही नतीजा है कि पालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अब पालक भी सवाल करने लगे हैं कि जब पाठ्यक्रम में 25 फीसदी की कटौती की गई तो फिर फीस पूरी क्यों ली जा रही है.

आरेंजसिटी में विविध पालक संगठनों द्वारा पिछले 3-4 महीनों से फीस के विरोध में आंदोलन किया जा रहा है. पालकों का कहना है कि स्कूलें बंद हैं और आनलाइन क्लासेस चल रही है तो फिर बच्चों की पूरी ‌फीस क्यों ली जा रही है. फीस में भी कटौती की जानी चाहिए. लेकिन निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा पालकों की तो सुनी ही नहीं जा रही है और अब राज्यमंत्री के आदेश की भी परवाह नहीं की जा रही है. फीस को लेकर स्कूलें के अपने-अपने तर्क है. लेकिन हकीकत यह है कि अब भी अधिकांश निजी स्कूल अपने शिक्षकों से आधे वेतन में ही काम ले रहे हैं. इतना ही नहीं नॉन टिचिंग स्टाफ भी कम कर दिया गया है. 

बोर्ड वाले बच्चों के पालक फंसे 

आनलाइन क्लासेस में सबसे अधिक दिक्कतें उन पालकों को हो रही है जिनके बच्चे बोर्ड की कक्षाओं में है. फीस जमा नहीं करने पर पालकों पर तरह-तरह से दबाव बनाया जा रहा है. कभी आन लाइन क्लास बंद कर दी जाती हो तो कभी बोर्ड परीक्षा के रजिस्ट्रेशन से रोक दिया जाता है. मजबूरीवश पालकों के लिए पूरी फीस जमा करना अनिवार्य हो गया है. कई पालकों ने बच्चों को टयूशन लगा रखी है. लेकिन वह भी अब तक आन लाइन ही चल रही है. अब तो स्थिति यह है कि बच्चे भी आनलाइन क्लासेस से परेशान हो गये हैं. इन सब के बावजूद शिक्षा विभाग कोई भी कार्यवाही नहीं कर रहा है. 

अन्य एक्टिविटी फीस का कोई औचित्य नहीं

पाठ्यक्रम में कटौती होने पर फीस में भी कटौती करने की मांग को लेकर आरटीई एक्शन कमेटी के चेयरमैन मो शाहिद शरीफ के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने शिक्षा उपसंचालक को जापन सौंपा. चर्चा के दौरान बताया कि पाठ्यक्रम में कटौती होने से शिक्षकों का लोड कम हुआ है. इसके बावजूद स्कूलों द्वारा पालकों को फीस के लिए दबाव बनाया जा रहा है. फीस जमा नहीं करने वाले बच्चों की परीक्षा नहीं लेने की भी बात कही जा रही है. जबकि आरटीई अधिनियम के तहत पहले से पांचवी कक्षा तक बच्चों को अनुत्तीर्ण नहीं किया जा सकता. स्कूलों के दबार के कारण पालक परेशान हो गये हैं. फीस में अब भी अन्य एक्टिविटी का समावेश है. जबकि स्कूलें बंद होने से क्लासेस के अलावा सभी एक्टिविटी बंद है. स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसने की मांग की है.