- कम जोखिम वाले मरीजों को होम क्वारन्टीन कर इलाज
- मनपा के इतिहास में पहली घटना
नाशिक. कोरोना संक्रमण के चलते मनपा सहित निजी अस्पताल ओवरफ्लो होने के बाद कम जोखिम के कोरोना मरीजों का घर में ही उपचार शुरू किया गया. इसके चलते घरों से कूड़ा के साथ पहली बार बायोमेडिकल वेस्ट आने के प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है. 7 माह में 141 मेट्रिक टन बायोमेडिकल वेस्ट बाहर निकलने की जानकारी सामने आई है.
मनपा के इतिहास में यह पहला मामला है. अप्रैल माह में कोरोना का पहला मरीज शहर के गोविंद नगर में सामने आया. इसके बाद चरण-चरण में मरीजों की संख्या बढ़ती गई. मई आखिर तक शहर में कोरोना की स्थिति नियंत्रित थी. इसके बाद पिछले माह के सभी रिकार्ड टूट गए. अगस्त-सितंबर माह में सर्वाधिक मरीज सामने आए. सितंबर माह में हर दिन एक हजार मरीज मिलने का पंजीकरण हुआ. अप्रैल माह में कोरोना का पहला मरीज सामने आया. परंतु मनपा ने मार्च माह में मरीजों की जांच शुरू की थी.
अप्रैल में सामने आया था पहला मरीज
अप्रैल माह में कोराना पीड़ित सामने आने के बाद पीड़ित के घर से 3 किलोमीटर तक का परिसर प्रतिबंधित क्षेत्र के रूप में घोषित किया गया. इसके बाद जैसे-जैसे मरीजों की संख्या बढ़ती गई, वैसे-वैसे प्रतिबंधित क्षेत्र के नियमों में बदलाव होता गया. विषाणु का संक्रमण न बढ़े, इसलिए प्रतिबंधित क्षेत्र यानी कि होम क्वारंटाइन व्यक्ति के घर से मनपा के आरोग्य विभाग द्वारा बायोमेडिकल वेस्ट संकलित किया जाता है. इसके तहत मार्च से 26 सितंबर तक 141.249 मेट्रिक टन बायोमेडिकल कचरा जमा किया गया, जिसमें पीपीई किट, दवाई, औषधियों के रैपर आदि शामिल हैं. शहर में कोरोना मरीजों की संख्या 50 हजार से अधिक है. वहीं 2076 प्रतिबंधित क्षेत्र हैं. आज 3 हजार से अधिक एक्टिव मरीज हैं.
घर से निकला बायोमेडिकल वेस्ट
माह किलो मेट्रिक टन
मार्च 35 0.035
अप्रैल 2899 2.899
मई 2425 2.425
जून 6960 6.96
जुलाई 21350 21.35
अगस्त 55765 55.765
सितंबर 51845 51.845
कुल 141279 141.249