नाशिक. जिले में अब तक 33 किसानों की आत्महत्या करने का रेकॉर्ड दर्ज किया गया है. उनमें से 22 किसानों ने कर्ज के बोझ से तंग आकर आत्महत्या की है. अन्य किसानों ने फसल पैदा ना होने या खराब हो जाने और बैंक के तकाजों के कारण आत्महत्या की. इन किसानों के परिवार को सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता के लिए पात्र माना गया है. वहीं 11 किसानों की आत्महत्या के कारण घरेलू होने से उन्हें सरकारी सहायता नहीं दी जाएगी.
ऐसी जानकारी प्रशासन ने दी है. न केवल जिले में, बल्कि राज्य में भी किसान पिछले कई वर्षों से आत्महत्या कर रहे हैं. जिला प्रशासन ने जानकारी दी है कि जनवरी 2020 से नवंबर 2020 के बीच जिले में 33 किसानों की मौत हो गई. अगर कोई किसान कृषि से लिए लिए गए ऋणों का पुनर्भुगतान नहीं कर पाता है तो बैंकों से कर्ज चुकाने का दबाव, पिछले कुछ वर्षों में कुछ भी खेती करने में विफलता या प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों का नुकसान आदि के कारण किसान हिम्मत खो बैठते हैं.
सरकार पीड़ित परिवार को एक लाख रुपये प्रदान करती है. जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति तय करती है कि सहायता के लिए मामला अनुमोदित किया जाएगा या नहीं. इस साल अब तक जिले में 33 किसान आत्महत्याएं हुई हैं. आत्महत्या करने वालों में सबसे ज्यादा संख्या निफाड़ तहसील में थी. जिला प्रशासन ने बताया कि दिंडोरी और बागलान तहसीलों में 5 किसानों ने आत्महत्या की.
सहायता के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष ये सभी मामले रखे गए थे, जिसमें से 22 किसान परिवारों को मदद के लिए पात्र घोषित किया गया है, जबकि 11 किसान परिवारों को मदद के लिए अयोग्य घोषित किया गया है. यह स्पष्ट है कि इन ग्यारह लोगों ने व्यक्तिगत कारणों से आत्महत्या की. जिले में 12 पात्र किसानों की आयु चालीस वर्ष से कम है. समिति ने ऋणग्रस्तता, बैंक उत्पीड़न या जमीन के बांझपन या वंचित फसलों के कारण इन किसानों की आत्महत्या को मान्य किया है. दिंडोरी के पिंपलगांव केतकी का एक किसान केवल 19 साल का है. तहसील के बांदरपाड़ा का किसान 24 साल का है, जबकि कोरहट का किसान 25 साल का है. निफाड़ तहसील के बाणगंगानगर के एक 25 वर्षीय किसान ने भी आत्महत्या कर ली है. आत्महत्या करने वालों में दो 65 वर्षीय किसान हैं.