नाशिक. ग्रामसेवकों के काम में होने वाले चूक (Lapses) और ग्रामपंचायत स्तर (Gram Panchayat Level) पर होने वाले भ्रष्टाचार (Corruption) जैसे प्रकरणों की जांच से जुड़े 150 प्रलंबित प्रकरणों की संभागीय स्तर (Divisional Level) पर जांच शुरू है, जिसमें से 135 प्रकरणों की संभागीय जांच पूर्ण करने में ग्रामपंचायत विभाग सफल हो गया है। इसमे से संबंधित प्रकरण में दोषी पाए गए 111 ग्रामसेवकों पर कार्रवाई करने की जानकारी जिला परिषद के ग्रामपंचायत विभाग के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी रवींद्र परदेशी ने दी।
ग्रामपंचायत स्तर पर कुछ ग्रामसेवकों की कार्यपद्धति जिला परिषद में लगातार चर्चा का विषय बन गई है। पिछले तीन से चार महिने में विविध प्रकरणों की जांच के लिए लगातार प्रयास करते हुए ग्रामपंचायत विभाग ने अब 150 में से 135 प्रकरणों की जांच संभागीय स्तर पर पूर्ण की। इसमें 111 लोगों के खिलाफ कार्यवाई कि गई है। 15 प्रकरणों की जांच अभी जारी है। जांच पूर्ण हुए प्रकरणों में दिंडोरी जैसे आदिवासी तहसील में बड़े पैमाने पर ग्रामसेवकों के माध्यम से किया गया गैरकानूनी काम भी शामिल है।अकेले दिंडोरी तहसील में 12 ग्रामसेवकों के खिलाफ कार्यवाई कि गई। आशेवाड़ी के ग्रामपंचायत में हुए भ्रष्टाचार प्रकरण को लेकर पुलिस थाना में शिकायत दर्ज कि गई है।
अधिकारियों ने किया सभागार को भ्रमित
लोकनिर्माण विभाग के दायित्व के कार्यो को प्रशासकीय मंजूरी के लिए सभागार के सामने रखने के बजाए परस्पर नियोजन करने की कार्यप्रणाली पर जिला परिषद के स्थायी समिति सदस्यों ने जोरदार आपत्ती जताई। निधी नहीं होने के बावजूद दायित्व में करोड़ों रुपए के कार्यो की प्रशासकीय मंजूरी गृहीत पकड़ने पर संबंधित कार्यो के विगत पाच वर्षो की जांच करने की मांग स्थायी समिति के माध्यम से कि गई। इसके अलावा संबंधित प्रशासकीय मान्यता रद्द करने का प्रस्ताव भी कृषि समिति के सभापति संजय बनकर ने सभागार में रखा। दायित्व की मंजूरी लिए बिना 2018-19 व 2019-20 इस वर्ष के प्रशासकीय मंजूरी के लिए प्रत्यक्ष में मंजूरी लिए बिना नियोजन करने का षडयंत्र बनाने के मुद्दे पर सदस्य आक्रमक हुए थे। इस दौरान मंच पर अध्यक्ष बालासाहब क्षीरसागर, उपाध्यक्ष डॉ. सयाजी गायकवाड़, सभापति संजय बनकर, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवींद्र शिंदे आदि उपस्थित थे।