नाशिक. ब्लैक फंगस (Black Fungus) बीमारी से जूझ रहे नाशिक (Nashik) के लोगों के लिए यह अच्छी खबर है। जिले में आपातकालीन सर्जरी (Emergency Surgery) के साथ-साथ सामान्य लक्षणों का अनुभव करने वाले रोगियों की संख्या में काफी गिरावट आ रही है। विशेषज्ञ डॉक्टरों ने कहा कि कुछ दिन पहले जहां रोजाना दर्जनों मरीजों की सर्जरी करनी पड़ती थी, वहीं एक दिन में सिर्फ 2 सर्जरी की जा रही हैं। बेहद दर्दनाक और जानलेवा बीमारी कोरोना संकट के दौरान शुरू हुई थी।
जिले में अब तक 350 से ज्यादा मरीज इस बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं। इसके अलावा, आधिकारिक स्वास्थ्य सूत्रों के अनुसार 28 रोगियों की जान चली गई है। इस बीमारी के रोगियों का समय पर निदान सुनिश्चित करने और उन्हें तत्काल उपचार के दायरे में लाने के लिए जिले में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
लक्षण दिखते ही तुरंत करवाएं जांच
सिविल अस्पताल, मनपा के अस्पताल, मरीजों के इलाज की तैयारी कर रहे हैं। एमवीपी और एसएमबीटी मेडिकल कॉलेजों सहित कुछ निजी अस्पतालों में जनारोग्य योजना के तहत मुफ्त इलाज भी किया जा रहा है। कान, नाक और गले के विशेषज्ञ बता रहे हैं कि इस बीमारी के मरीजों की संख्या कम हो रही है जबकि स्वास्थ्य व्यवस्था प्रशासन के साथ मिलकर काले फंगस को नियंत्रित करने का काम कर रही है। पिछले सप्ताह तक जिले के हर कान, नाक और गले के विशेषज्ञ के पास संभावित मरीजों की भीड़ थी। मरीजों की सर्जरी भी बढ़ रही थी। बेशक, यह तस्वीर पूरी तरह से नहीं बदली है, लेकिन बढोतरी की दर ने ब्रेक लिया है। मरीजों की संख्या घटने के साथ–साथ जिले को कोरोना से भी राहत मिली है। डॉक्टर मरीजों से आग्रह कर रहे हैं कि अगर उनमें लक्षण नजर आए तो तुरंत अपनी जांच कराएं। ब्लैक फंगस के रोगियों की संख्या निश्चित रूप से घट रही है।
हमने हर दिन आक्रामक काले फंगस के 11 से 12 मरीजों का ऑपरेशन किया है। अब औसतन प्रतिदिन 2 सर्जरी हो रही हैं। जिन मरीजों को सर्जरी की जरूरत नहीं होती, उनकी संख्या पहले के मुकाबले काफी कम है। यह कोविड मरीजों की घटी संख्या का अच्छा परिणाम है।
- डॉ. शब्बीर इंदौरवाला, वरिष्ठ कान, नाक, गला विशेषज्ञ
कोरोना के मरीजों की संख्या के साथ-साथ ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या भी घट रही है। पहले हम रोजाना कम से कम 5 मरीजों की जांच करते थे। अब अच्छे संकेत मिल रहे हैं कि ब्लैक फंगस के मरीज आ रहा हैं, लेकिन वह उतने गंभीर स्थिती में नहीं हैं। इसलिए प्रशासन भी इस बीमारी की रोकथाम के लिए तैयार है और मरीजों को लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
-डॉ. महेश कुमार निकम, अध्यक्ष, कान, नाक, गला विशेषज्ञ संघ