शिर्डी. अहमदनगर जिले के पालक मंत्री हसन मुश्रीफ ने बताया कि जिले में सभी कारोबार 7 जून 2021 से शुरू हो जाएंगे। इसके बाद जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र भोसले ने आदेश जारी किया है कि मंदिर को शुरू करने के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया है। शिर्डी (Shirdi) के लोगों ने सरकार से मांग की है कि शिर्डी में साईं मंदिर (Sai Mandir) को दर्शन के लिए खोला जाए। मंदिर बंद होने से शिर्डी की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है, चूंकि शिर्डी में सभी व्यवसाय साईं मंदिर पर निर्भर हैं, इसलिए मंदिर खोलने की मांग अब जोर पकड़ रही है।
लॉकडाउन ने फूल माला-विक्रेताओं और होटल व्यवसायियों को आर्थिक कठिनाई में ढकेल दिया है। मंदिर खोलने का निर्णय तत्काल लिया जाए, अन्यथा स्थानीय लोग आंदोलन करेंगे।
संस्थान की आय में गिरावट
महामारी के कारण 5 अप्रैल से मंदिर भक्तों के लिए बंद कर दिया गया है। दैनिक पूजा और आरती जारी है। लॉकडाउन में ढील के बाद दूसरे शहर और गांव पहले जैसे स्थिति में आ जाते हैं, लेकिन शिर्डी का समीकरण कुछ और ही है। शिर्डी में भक्त तभी आते हैं जब मंदिर खुला होता है और तभी व्यापार को बढ़ावा मिलता है। भक्त शिर्डी नहीं आ सकते क्योंकि मंदिर बंद है और विकल्प खुला होने पर भी व्यवसाय शुरू करने का कोई मतलब नहीं है। कोरोनाकाल से एक साल में साईंबाबा संस्थान की आय में गिरावट आई है। पिछले एक साल में औसतन 30 प्रतिशत दान मिला है।
9 महीने के लॉकडाउन में बंद था मंदिर
साईं के गांव में 1,000 से ज्यादा होटल हैं। किसान, हस्तशिल्पी, माला विक्रेता, रेस्टोरेंट भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। होटल व्यवसायियों से बैंक कर्ज की किश्तों का भुगतान करने की मांग बार–बार मांग कर रहे हैं। इन दिनों व्यवसायों की व्यवस्था भी कठिन हो रही है इसलिए जिले में पाबंदियों में ढील के बाद से साईं मंदिर खोलने की मांग जोर पकड़ने लगी है। पिछले 8 से 9 महीने के लॉकडाउन में मंदिर बंद था। अब मंदिर खोलने के लिए आंदोलन की स्थिति आ गयी है। अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है लेकिन मंदिर को शुरू करने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। शिर्डी में कारोबारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। कई पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। सचिन तांबे ने चेतावनी दी है कि अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए शिर्डी में साईं मंदिर शुरू किया जाना चाहिए।
शिर्डी में करीब एक हजार छोटे-बड़े होटल हैं। हालांकि होटल बंद है, लागत जारी है। सभी की मानसिक स्थिति खराब हो चुकी है। होटल संचालक ही नहीं आश्रित श्रमिकों का भी गुजारा एक बड़ा मुद्दा है। जब तक मंदिर नहीं खुलेगा तब तक घर में चूल्हे नहीं जलेंगे इसलिए मंदिर खोलने का निर्णय शीघ्र लिया जाए।
– मनीलाल पटेल, होटल संचालक