'Carbide gun' will save from leopard

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    नाशिक. खेतों में बाढ़ लगाकर, थाली बजाकर और लाइटिंग करके तेंदुए (Leopard) को खेतों और घरों से दूर रखा जा रहा था। अब इससे आगे बढ़कर वन विभाग (Forest Department) ने कृषि उपज के सामान की मदद से ‘कार्बाइड गन’ (Carbide Gun)बना ली है, जिससे तेंदुए को दूर रखने में सहायता मिल रही है। इसका प्रयोग अंजनेरी जंगल में सफल रहा है। शाम और सुबह के समय एक साधारण खड़ा और पानी की 5-6 बूंदें डाल कर जोरदार शोर किया जाता है। इस कार्बाइड बंदूक को तैयार करने में केवल 150 रुपए खर्च आता है। 

    यदि सभी वन क्षेत्रों में प्रयोग सफल होता है, तो संकेत हैं कि तेदुए और मानव संघर्ष कम हो जाएगा। वन क्षेत्रों और खेतों में बने मल्लों में लोग तेंदुओं से सुरक्षित रहेंगे।

    पिछले साल तेंदुओं ने 11 लोगों को बनाया था शिकार

    समृद्ध वन संसाधनों, बागवानी, सह्याद्री, सात माला की पर्वत श्रृंखला, गोदावरी, दारणा, गिरना और अन्य नदी घाटियों के कारण नाशिक जिले में वन्यजीवों की संख्या अधिक है। इससे डेढ़ साल में तेंदुआ-मानव संघर्ष में वृद्धि हुई। पिछले साल दारणा घाटी में तेंदुए के हमले में 11 लोगों की मौत हो गई थी। उसके बाद वन विभाग ने विभिन्न पहलों के माध्यम से इस संघर्ष को कम करने का प्रयास शुरू किया। दारणा घाटी में लोगों ने अपने घरों के चारों ओर बाड़ लगा दी है। इससे तेंदुआ खेत में ही रहता है और घरों और बाडों में घुसकर हमला नहीं करता। इस प्रकार के कई सुरक्षा व्यवस्था पूरे इलाके में की गई है। अब वन विभाग ने खेत के पाइप, पत्थर, लाइटर और पानी का उपयोग करके ‘कार्बाइड गन’ के साथ सफलतापूर्वक प्रयोग शुरू कर दिया है।

    सिरेमिक पाइप से बनता है ‘कार्बाइड गन’

    अंजनेरी रिजर्व संरक्षण क्षेत्र तेंदुआ और लोमड़ियों का स्थल है। अगर आप खेत में जाने से पहले इस बंदूक से तेज आवाज करेंगे तो वन्यजीव भाग जाएंगे। ऐसा करने से खतरनाक जानवर मनुष्य पर हमला नहीं करते। जब से अंजनेरी में प्रयोग किया जा रहा है, वहां के निवासियों के बीच वन्य जीवन का डर कम हो गया है। यह बंदूक बनाने के लिए साढ़े तीन फीट मोटे सिरेमिक पाइप का इस्तेमाल किया जाता है। एक पाइप के ढक्कन को छल्ला बनाया जाता है। एक छेद ड्रिल किया जाता है। इसमें एक रेड्यूसर और पीठ पर एक साधारण लाइटर लगाया जाता है। छेद के माध्यम से एक छोटा पत्थर डाल कर पानी की 5 से 6 बूंदें डाली जाती हैं। इससे कार्बाइन कुछ ही सेकंड में तेज आवाज करने लगता है। इसके अलावा, जैसे ही पत्थर गिरता है, इसका पुन: उपयोग किया जाता है। 50 रुपये के कैप, 50 रुपये के पाइप, 60-70 रुपये के रेड्यूसर और 10 रुपये के लाइटर को मिला कर इसकी कीमत लगभग 150-170 रुपये है।

    जंगली जानवरों के हमलों से बचने के लिए कई प्रयोग सफल हो रहे हैं। 'कार्बाइन गन' से की गई आवाज फायदेमंद लग रही है। किसानों को इसकी जानकारी देकर प्रयोगों के बारे में बताया जा रहा है। इससे तेंदुआ और अन्य वन्यजीवों का खतरा कम हो जाता है।

    – सुजीत बोकड़े, वनपाल, अंजनेरी रिजर्व कंजर्वेशन एरिया