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  • प्रशासन की धमकियों से व्यापारी परेशान

साक्री. तहसील के गांव-गांव में कोरोना पहुंच गया है, वैसे ही शहर के हर हिस्से से कोरोना मरीज निकल रहे हैं. अब तो प्रशासन के नियंत्रण से बाहर हो रहा कोरोना प्रकोप का आंकड़ा 1 हजार तक पहुंच गया है. एक ओर मजबूर  प्रशासन कोरोना के निर्देशों की अवहेलना करनेवाले व्यापारियों को कार्रवाई की धमकियां देने पर उतर आया है, वहीं कोरोना के बढ़ते मरीजों के बीच लोग बेखौफ हैं.

बेनतीजा रही कोरोना संबंधी बैठक

प्रशासन ने कोरोना के बढ़ते प्रकोप पर आयोजित बैठक में खानापूर्ति करते हुए व्यापारियों को हिदायतें दीं. कोरोना को रोकने के अभी भी कोई ठोस कदमों का अभाव होने से बैठक बेनतीजा ही रही. निजी अस्पतालों से लेकर खास कोविड-19 केंद्रों में हो रही जांच में संक्रमण के दर्जनों नए मामले रोजाना निकल रहे हैं. तहसील में गिने-चुने अपवाद स्वरूप गांवों को छोड़, ऐसा कोई गांव नहीं है जो कोरोना प्रकोप की चपेट में आने से बच गया हो.

लोगों में कोरोना का खौफ नहीं

जिनके परिजन प्रकोप के चपेट में हैं, उनको छोड़ शेष जनता में अब बिल्कुल भी खौफ नहीं रहा है. तहसीलदार प्रवीण चव्हाणके द्वारा आमंत्रित बैठक में पुलिस निरीक्षक नितिन देशमुख, नगर पंचायत के मुख्याधिकारी देवेंद्रसिंह परदेशी, नायब तहसीलदार डॉ.अंगद आसटकर और कुछ सरकारी विभागों के अधिकारी शामिल हुए. इस बैठक में दुकानदारों को चेतावनी दी गई कि वे अपने प्रतिष्ठान शाम को छह बजे, बंद करें, दुकानों में ग्राहकों की भीड़ ना हो, ग्राहक मास्क पहने हों, सैनिटाइजर इस्तेमाल हो, वगैरा-वगैरा. ऐसा नहीं होने की सूरत में दुकानदारों पर कार्रवाई की जाएगी.

व्यापारियों के सामने गंभीर समस्या

पुलिस या राजस्व विभाग हो, व्यापारी कार्रवाई के नाम से बहुत डरते हैं. पहले ही ग्राहकी के अभाव में खस्ता हाल चल रहे व्यावसायिक आर्थिक स्थिति से परेशान है. ऐसा कौन सा व्यापारी होगा जो ऐसी स्थिति में ग्राहकों की भीड़ नहीं चाहेगा? ग्राहकों को नियंत्रण करेगा कि अपना कामकाज देखेगा? ग्राहकों का मास्क नहीं पहनना क्या व्यापारी की जिम्मेदारी होगी? और क्या कार्रवाई का अकेला शिकार व्यापारियों को ही ठहराया जाएगा? ऐसे कई सवाल दबी जुबानों से चर्चा में है. प्रशासन केवल अपने पर आया वार जनता पर धकेलना चाहती है.

नियमों को ठेंगा दिखाने वालों पर कार्रवाई नहीं

सड़कों पर कोरोना निर्देशों की उपेक्षा करते आजादी से घूमते लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. आधे लोग बगैर मास्क लगाए घूमते हैं. दुपहिए से लेकर कारों जैसे वाहनों में  मान्य संख्या से कभी भी ज्यादा ही सवारियां मिलेंगी, शहर के किसी भी कोने में कोई भी अपना ठेला, अपनी डलिया, टोकरी लेकर बैठा हुआ मिलेगा. भाजी बाजार पूर्ववर्ती मंडी में और  शहर के हर कोने पर उपलब्ध है. इनको कौन रोकेगा ये महत्वपूर्ण विषय है.

शहर में नहीं हो रहा सर्वेक्षण

शहर में हो रहा स्वास्थ्य सर्वे नदारद है, नया शगूफा  ‘मेरा परिवार मेरी जिम्मेदारी’ के कार्यकर्ता कहीं दिखते हैं, कहीं नहीं. कई बार इसकी पुष्टि हो चुकी है कि जब भी कोई नया पॉजिटिव मरीज सामने आता है तो उसका स्त्रोत बाहरी होता है. या तो मरीज शहर से आया होगा, या उसके घर शहर से कोई आया होगा और नहीं तो  शादी से अंत्येष्टि तक के सामाजिक- राजनीतिक या सार्वजनिक कार्यों में शामिल हुआ होगा. लेकिन इस पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. सार्वजनिक कार्यों हेतु मान्य संख्या से कई गुना ज्यादा लोग उसमें शामिल होते हैं, जिसकी ना चौकसी होती है ना मनाही. तहसील के कुछ गांवों में एक साथ दर्जनों लोगों के संक्रमित होने पर उसके पीछे के कारणों की खोज नहीं हुई, ना ही कोई सबक लिया गया.