- घरों में उपचार लेने से मकान बने कोरोना केयर सेंटर्स
नाशिक. पिछले कुछ दिनों से कोरोना मरीजों की संख्या कम होने से नागरिकों के साथ-साथ संबंधित यंत्रणा को भी राहत मिली है. लंबे समय के बाद शहर के निजी और सरकारी अस्पतालों के 50 प्रतिशत बेड रिक्त होने की बात सामने आई है. लगभग 49 प्रतिशत मरीजों द्वारा अपने मकानों में ही उपचार लेने से मकान केयर सेंटर्स बन गए हैं. नाशिकवासियों में कोरोना का डर कम होने के साथ वह सावधान भी हो गए हैं.
बता दें कि पिछले सप्ताह से कोरोना पीड़ितों की संख्या कम होने के साथ निजी और सरकारी अस्पताल में दाखिल होकर उपचार लेने वाले मरीजों की संख्या भी कम हो गई है. शहर में आज की स्थिति में एक्टिव मरीजों की संख्या 4 हजार 52 है. इसमें से 2 हजार 81 मरीज सरकारी और निजी अस्पतालों के साथ कोविड केयर सेंटर में उपचार ले रहे हैं. वहीं 49 प्रतिशत अर्थात 1 हजार 971 मरीज अपने मकानों में ही रहकर उपचार ले रहे हैं. परिणामस्वरूप सभी अस्पतालों के 50 प्रतिशत बेड रिक्त हो गए हैं. नाशिक शहर में सितंबर तक कोरोना का प्रकोप जारी रहा. सितंबर माह में शहर में 26 हजार 21 मरीज बढ़ गए तो 247 की मौत हो गई.
अगस्त, सितंबर इन दो माह में हाहाकार मचाने वाले कोरोना का अक्टूबर में प्रकोप कुछ हद तक रुक गया. प्रशासन द्वारा की गई जनजागृति और नागरिकों द्वारा कोरोना को लेकर ली गई खबरदारी के चलते सितंबर के आखिरी सप्ताह में कोरोना का हाहाकार कम हो गया. अक्टूबर के पहले सप्ताह में कोरोना पीड़ितों की संख्या कुछ हद तक कम होने से सरकारी और निजी अस्पताल के बेड रिक्त हुए. सितंबर में शहर के एक्टिव मरीजों की संख्या 6 हजार तक पहुंची. परंतु अक्टूबर के पहले सप्ताह में मरीजों की संख्या 4 हजार तक पहुंच गई है. इसलिए निजी और सरकारी अस्पताल में उपचार लेने वाले मरीजों की संख्या भी कम हो गई है. शहर के निजी और मनपा अस्पताल के पास कोरोना के लिए कुल 4 हजार 439 आरक्षित बेड थे. इसमें से आज की स्थिति में 2 हजार 81 बेड का ही उपयोग हो रहा है. शहर के मनपा के बिटको अस्पताल, डॉ. जाकिर हुसैन अस्पताल में 30 प्रतिशत बेड रिक्त हैं. बिटको, समाज कल्याण, ठक्कर डोम, मेरी आदि 4 बड़े कोविड केयर सेंटर्स मिलाकर 1955 बेड की क्षमता है. परंतु आज की स्थिति में यहां पर 1292 बेड का उपयोग किया जा रहा है तो 663 बेड रिक्त हैं. निजी और सरकारी अस्पताल के 50 प्रतिशत बेड आज की स्थिति में रिक्त होने से नागरिकों के साथ मनपा प्रशासन को भी बड़ी राहत मिली है.
आरक्षित बेड 52 प्रतिशत रिक्त
मनपा ने अपने अस्पताल सहित 15 बेड से अधिक क्षमता होने वाले लगभग 69 अस्पताल कोविड के लिए आरक्षित किए हैं. उन सभी अस्पतालों की क्षमता 1989 है. परंतु सरकारी अस्पतालों की तरह ही निजी अस्पतालों के भी बेड रिक्त हो गए हैं. 1989 बेड में से आज की स्थिति में 945 बेड का उपयोग किया जा रहा है. कुल मिलाकर 1044 बेड आज की स्थिति में रिक्त हैं, जिसका प्रतिशत 52 है.
कम हुआ स्वास्थ्य विभाग का तनाव
नाशिक शहर के निजी व सरकारी अस्पतालों के बेड की क्षमता 4439 है. वहीं एक्टिव मरीजों की संख्या 40532 तक पहुंच गई है. सरकारी तथा निजी अस्पताल में आज की स्थिति में 2081 मरीज दाखिल होकर उपचार ले रहे हैं. लगभग 1971 मरीज अपने मकानों में ही रहकर उपचार ले रहे हैं. आज की स्थिति में सौम्य लक्षण होने वाले मरीजों की संख्या अधिक है. ऐसे में नागरिकों में कोरोना के संदर्भ में होने वाला डर दूर होने के साथ टेलिमेडिसन का उपक्रम शुरू होने से अधिकतर नागरिक अपने मकानों में ही रहकर उपचार ले रहे हैं. कुल मरीजों की संख्या में से 49 प्रतिशत मरीजों के मकानों में ही उपचार लेने से आरोग्य यंत्रणा पर दिन-ब-दिन बढ़ने वाला तनाव कम हो गया है.
कोरोना संक्रमण के नियंत्रण के लिए मनपा प्रशासन के साथ-साथ संबंधित सभी यंत्रणा का सहयोग मिलने से आज कोरोना की स्थिति नियंत्रित हुई है. सौम्य लक्षण वाले मरीजों की संख्या अधिक है. वह अपने मकानों में ही रहकर सही उपचार लेकर स्वस्थ हो रहे है. यह बात अब नागरिकों के ध्यान में आई है.
-कैलास जाधव, आयुक्त, नाशिक मनपा
कोरोना के संदर्भ में आरोग्य विभाग द्वारा प्रभावी तौर पर जनजागृति करने से नागरिकों में होने वाला कोरोना का डर अब खत्म हो गया है. लगभग आधे से अधिक मरीज अपने मकानों में ही उपचार ले रहे हैं. परिणामस्वरूप अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों की संख्या कम हो गई है.
-डॉ. बापूसाहेब नागरगोजे, वैद्यकीय अधीक्षक, नाशिक मनपा