साक्री. कोरोना का कहर तहसील के साथ साक्री शहर के हर हिस्से में अपनी पैठ बना चुका है. लगता है कि लोगों ने खौफ छोड़कर अब कोरोना के साथ जीना शुरू कर दिया है.
बैंकों, दुकानों, कार्यालयों से सामाजिक कार्यक्रम- समारोहों में खासी भीड़ कभी भी और कहीं भी देखी जा सकती है. कुछ अपवाद छोड़ दें तो ज्यादातर लोग ना मास्क पहनते हैं और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है.
बेखौफ हो लग रही भारी भीड़
कहीं कोई रोकटोक नहीं और रोकथाम की कोशिश भी नहीं है. स्वास्थ्य सर्वेक्षण द्वारा कोई मामला नहीं मिलता, लेकिन हकीकत में मानो कोरोना प्रकोप विस्फोटक हो गया है. तहसील के भीतरी सुदूर हिस्सों के छोटे गांवों में भी कोरोना पहुंच चुका है. साक्री और पिंपलनेर शहर तथा कासारे, निजामपुर-जैताने फिलहाल कोरोना के हॉटस्पॉट बन गये हैं. तहसील में कोरोना बाधित संक्रमितों का आंकड़ा ढाई सौ को पार कर चुका है.
संपन्न लोग निजी अस्पतालों में करा रहे इलाज
साक्री शहर के हर हिस्से में कोरोना पहुंच चुका है. संपन्न लोग अपने रोगी परिजन को निजी अस्पताल में ले जाते हैं और किसी को पता भी नहीं लगने देते. अपने दैनंदिन कार्य बेखौफ होकर करते रहते हैं. वे क्वारन्टाइन भी नहीं होते, उन्हें सरकारी प्रशासन की व्यवस्था भी ढूंढ नहीं पाती. विगत 3-4 दिनों में साक्री शहर में स्थित कोविड-19 केंद्र में साक्री के सराफा बाजार, निजामपुर ,पिंपलनेर, आमखेल, जैताने, कासारे, मालपुर आदि गांवों से कोरोना के मामले निकल ही रहे हैं. नए मामले निकलने के बाद 3-4 दिन पश्चात रोगियों की सूचना सार्वजनिक की जाती है.जिस दिन घोषणा होती है उसी दिन घोषित रोगी को क्वारन्टाइन किया जाता है, बाद में स्वैब लिए जाते हैं. ये समय बर्बाद करने की प्रक्रिया है. जिसके चलते संक्रमण को बढ़ावा मिलने के मौके पैदा हो रहे है. कोरोना बाधित लोगों के इलाकों की घोषणा जांच रिपोर्ट के 4 दिन बाद हो रही है.
सर्वे से बचना चाहते हैं शिक्षक
स्वास्थ्य सर्वे के आदेश जारी होते हैं, लेकिन आशा कार्यकर्ता,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षक अब इस काम से बचने लगे हैं. क्योंकि काम करने के बावजूद उक्त लोगों को मानदेय भी नहीं दिया गया. स्वास्थ्य सर्वे से एक भी मरीज का सुराग अब तक नहीं मिला है. क्योंकि उक्त सर्वे में काम करनेवाले चिकित्सा क्षेत्र से नहीं होते और जांच के साधनों के अभाव में वे केवल लोगों की सूचना पर आधारित ही सर्वे करते हैं. लोग हैं कि अपनी सफर का इतिहास, सामाजिक कार्यों में हाजिरी, स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें या किसी शारीरिक असहजता की सूचना नहीं देते हैं. खुद होकर अस्पताल भी नहीं जाते है. उक्त सभी बातों में कोरोना संक्रमण फैलाव का रहस्य छिपा है. प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग हो या पुलिस इस बढ़ते प्रकोप की ओर हताश नजरों से देख रही हैं.