प्याज की नीलामी बंद करने का निर्णय, किसानों एवं व्यापारियों में मचा हड़कंप

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साक्री. तहसील की कृषि उपज मंडी समिति ने पश्चिमी पट्टे में स्थित पिंपलनेर उप बाजार मंडी की प्याज की नीलामी बंद करने का ऐलान किया है. व्यापारियों द्वारा किसानों से प्याज लेने के बाद भी समय पर चुकौती नहीं करना तथा मंडी के निर्देशों के खिलाफ व्यवहार करने के चलते ये कड़ा कदम उठाया गया है. मंडी समिति के अध्यक्ष पोपटराव सोनवणे और सचिव अशोक मोरे द्वारा ये जानकारी दी गई. व्यापारियों और किसानों में इस निर्णय से हड़कंप मच गया है. 12 अक्टूबर से बंदी लागू हो गई. उक्त कदम उठाने के पूर्व मंडी समिति ने कुछ किसानों से मिली शिकायतों पर व्यापारियों से चर्चा की और मंडी के निर्देश जारी करने के लिए बैठक का आयोजन किया था. लेकिन उक्त बैठक को कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

बैठक में शामिल नहीं हुए व्यापारी

 इस बैठक में व्यापारी आये ही नहीं. तहसील में प्याज का बड़ा उत्पादन होता है. पिंपलनेर में मंडी समिति का उपबाजार तथा तहसील में सबसे बड़े पैमाने पर यहां प्याज की नीलामी होती है. मंडी समिति ने किसानों का अनाज हो या प्याज या कोई भी कृषि उपज, उनसे माल खरीदी पर 24 घंटे के भीतर भुगतान करना होगा, ऐसा बैंक चेक या नकद रकम देने का प्रावधान किया गया है. मंडी समिति के विगत अनुभवों के चलते किसानों को चुकौती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

व्यापारी निजी क्षेत्र में ले जाते हैं प्याज

विगत कुछ दिनों से मंडी के बाजार में लाया गया प्याज व्यापारी अपने निजी क्षेत्र में ले जाते हैं. वहीं तौल और किसानों की शिकायत सही माने तो घटत,आढ़त और मंडी के नियमों के खिलाफ रकम काटी जाती है.जिससे किसानों को नुकसान होता है. भुगतान 24 घंटे के भीतर नहीं होती, बल्कि किसानों को आढ़ती घुमा-घुमाकर  परेशान कर देता है. इसी को लेकर मंडी समिति के अध्यक्ष ने मीटिंग बुलाई थी. जिसमें केवल 4 व्यापारी ही उपस्थित हुए.

अहम मुद्दों पर होनी थी चर्चा

बताया जा रहा है कि कथित मीटिंग में नीलामी का हिसाब-पत्री जमा कराना, मंडी शुल्क जमा कराना, अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) के कागजात जमा कराना, हिसाब की चिट्ठियों में हेराफेरी नहीं होगी, किसानों के माल की चुकौती 24 घंटे में किए जाए,तराजू और बजन-बाट की पासिंग कराना, किसानों को कच्ची रसीद नहीं देना, पहले की तरह भुगतान 15 से 20 दिन तक की रोकाई या इतने ही दिन के बाद का बैंक का चेक देना बंद होगा, किसानों का बकाया हिसाब की सूची मंडी समिति को सौंपना, व्यवहार के तुरंत बाद हिसाब और बैंक चेक थमाना, मंडी समिति के कर्मचारियों से गालीगलौज की भाषा में बात नहीं करना आदि विषय और निर्देशों पर (उक्त मीटिंग में) चर्चा होनी थी.

किसानों के हित में लिया गया निर्णय

चूंकि व्यापारियों को मीटिंग में होनेवाले विषयों की भनक लग गई थी. इसी के चलते वे मीटिंग में नहीं आए. नीलामी लेनेवाले आढ़तियों को मीटिंग में उपस्थित नहीं होना है, चर्चा नहीं करना है और मंडी समिति की नियमों का पालन भी नहीं करना है ऐसा मानकर मंडी समिति द्वारा 12 अक्टूबर से पिंपलनेर की प्याज नीलामी मंडी बेमियादी बंद करने का निर्णय मंडी समिति द्वारा लिया गया. यह निर्णय किसानों के हित में और आढ़तियों के सहयोग ना करने के तेवर को देखते हुए लिया गया है, ऐसा समिति द्वारा घोषित किया गया है.

आए दिन मंडी कर्मियों से लेकर किसानों और नीलामी के ख़रीददार व्यापारियों में नोंक-झोंक किसी न किसी कारण से होती है. बाजार में जिस दिन प्याज की आवक बढ़ती है, उस दिन मंडी कर्मियों से हमाली, तोलाई और नीलामी क्रम लगाने को लेकर झगड़े होते हैं.

किसानों के साथ व्यापारी करते हैं दुर्व्यवहार

व्यापारी भले ही मंडी समिति के बाजार में नीलामी व्यवहार करें लेकिन किसान को अपने निजी क्षेत्र में ले जाते हैं और वहां कथित तौर पर किसानों से दुर्व्यवहार किया जाता है. हिसाब से कम पैसे देना, बेवजह रकम की कटौती करना आदि बातें किसानों में आक्रोश पैदा करती है. राशि के भुगतान के लिए टालमटोल करना भी उसमें शामिल है. नीलामी होते ही उसी दिन किसानों को अपने माल का पैसा देना अनिवार्य बनाया गया है, लेकिन इस कि उपेक्षा की जाती है.विगत में इन्हीं मामलों से किसानों ने मंडी समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था.

पिंपलनेर में माल न लाएं किसान

व्यापारियों के तेवर जब तक नहीं बदलते और वे मंडी समिति के निर्देशों को नहीं मानते तब तक किसानों से अपील की गई है कि वे अपना माल पिंपलनेर मंडी में नहीं लाएं. अगर कोई आढ़ती अपनी निजी जिम्मेदारी से कोई माल खरीद-फरोख्त करता है, जिसको मंडी समिति की रजामंदी नहीं है. उसके खिलाफ कार्रवाई  की जाने की चेतावनी भी मंडी समिति द्वारा जारी की गई है.

‘व्यापारी मनमानी कर रहे हैं, मंडी समिति के निर्देशों के खिलाफ व्यवहार करना चाहते हैं. जो किसान और व्यापारी तथा मंडी के हित में नहीं है. इसलिए मंडी में नीलामी को रोका गया है. किसानों को अपने माल का पैसा 24 घंटे के भीतर मिलना चाहिए, यही मंडी समिति की भूमिका है.

-पोपटराव सोनवणे, अध्यक्ष, साक्री तहसील मंडी समिति