साक्री. कोरोना का प्रकोप अभी पूरी तरह से कम भी नहीं हुआ कि इसी बीच तहसील और शहर में डेंगू-बुखार ने दस्तक दे दी है. तहसील के लगभग हर शहर और बड़े गांवों में डेंगू के मरीज बड़ी तेजी से फैल रहे हैं. डेंगू-बुखार के चलते शहर में पिता के छत्र के अभाव में पली बेटी की शादी का अरमान दिल में रखकर ही मां ने दम तोड़ दिया.
केवल महीने भर बाद ही बेटी की शादी होनी थी. इस वाकये पर शहर में गमगीन माहौल रहा. शहर में दो दिन पहले सुवर्णा दीपक काले (50) नामक महिला की डेंगू होने से मौत हो गई. जिसके पति की मौत 20 वर्ष पूर्व अकस्मात हो गई थी. इस दर्दनाक हादसे से एक बेटा और छोटी सी बच्ची के सिर से पिता का और महिला से पति का साया हट गया. जिंदगी के थपेड़े सहते हुए कठोर परिश्रम से महिला ने बच्चों की परवरिश की.
एक माह बाद होनी थी बेटी की शादी
हाल ही में विवाह योग्य बेटी की शादी का रिश्ता इस महिला ने तय किया. चूंकि बहुत कम समय बचा था. छोटा से झुग्गी नुमा रिहायशी घर को देखते हुए, शादी के लिए धर्मशाला, बेटी के लिए गहने, वस्त्र, साड़ियां आदि शादी के खर्च का जुगाड़ और खरीददारी के लिए उक्त महिला ने बहुत दौड़-धूप की. अपने जीवनयापन हेतु महिला कई वर्षों से जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग में पारिश्रमिक और मानदेय जैसी कमाई से घर चलाती थी. कई वर्षों से अपनी शारीरिक अस्वस्थता के चलते अपनी दवाई और परिवार का निर्वाह भी इसी में होता था. बावजूद इसके अपनी लाड़ली की शादी धूमधाम से करने का सपना भी अपने दिल मे संजोए थी.लेकिन नियति नहीं मानी और केवल एक महीने शादी को बचा था.
कर ली थीं शादी की तैयारियां
लगभग सभी तैयारियां अपने बलबूते पर महिला ने कर ही ली थी, की डेंगू-बुखार से चार दिन बीमार हुई और जिंदगी की जंग लड़नेवाली यह बहादुर महिला वक्त और बीमारी से अपनी जंग हो गई. इसी बीमारी में उसने दम तोड़ दिया. दोनों बच्चों के सिर पर मानो आसमान टूट पड़ा है.
बढ़ रही मरीजों की संख्या
यह तो एक उदाहरण भर है. पर डेंगू-बुखार के प्रकोप के चलते तहसील और शहर के निजी अस्पताल इस बीमारी की चपेट में आए रोगियों से भरें हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग के साथ ही राजस्व, नगरपंचायत और गांवो की पंचायतों को तुरंत डेंगू के प्रकोप को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे. हर वर्ष मलेरिया और डेंगू-बुखार का आतंक तहसील क्षेत्र की बड़ी आबादी को बीमार कर देता है, लेकिन प्रशासन के किसी भी स्तर पर इसका संज्ञान नहीं लिया गया है, जो एक गंभीर मसला है.क्योंकि इलाके में डेंगू-बुखार को जांचने हेतु सुविधा भी नहीं है.
जांच और उपचार की सुविधा नहीं
स्थानीय लैब में रक्त की जांच में अगर प्लेटलेट्स कम होते पाए जाने पर डेंगू-बुखार की आशंका से उपचार किए जाते है. स्थानीय सरकारी अस्पतालों में भी जांच और उपचार की सुविधा नहीं है.स्वास्थ्य विभाग की ओरसे डेंगू-बुखार के उपचार पर आवश्यक निर्देशों और विशेषज्ञ डॉक्टरों का भी अभाव है. डेंगू-बुखार के प्रकोप की पीड़ा हर वर्ष तहसील के लोग सहते है. अपने अनुभवों से इसकी भयावहता जानते है, इसी वजह से इस बीमारी के उपचार के लिए सरकारी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधा मिलें और निजी डॉक्टरों के लिए सरकार का स्वास्थ्य विभाग उपचार के निर्देशों को जारी करने कि मांग की जा रही है.
तहसील के लगभग सभी बड़े गांवों में और शहर में भी डेंगू-बुखार के मरीज बड़ी तादाद में निकल रहें हैं. फिलहाल सरकारी ग्रामीण अस्पताल में डेंगू-बुखार के उपचार की कोई सुविधा नहीं है.परंतु जैसे ही कोई मरीज इलाज के लिए आता है, उसे प्राथमिक उपचार दे कर जिला अस्पताल भेज दिया जाता है.
-डॉ.भारत गोहिल, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, ग्रामीण अस्पताल, साक्री