धूलिया. केंद्र सरकार (Central Government) के तीन कृषि कानूनों (Three Agricultural Laws) के खिलाफ दिल्ली सीमा (Delhi Border) पर किसानों का आंदोलन (Farmers Agitation) आठ महीने बाद भी जारी है। इन कानूनों में मामूली बदलाव किए गए हैं लेकिन यह किसानों के हित में नहीं है। हाल ही में किसान सभा के 11 कार्यकर्ता धरना स्थल पर पहुंचे।
आंदोलन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की जा रही है। कुल मिलाकर देखें तो इस किसान आंदोलन का एक नया चरण 15 अगस्त के बाद आएगा। यह विचार किशोर ढमाले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में व्यक्त किए। इस समय कॉ. सुभाष काकुस्ते, कॉ. वंजी गायकवाड़, कॉ. गोरख कुंवर, कॉ. सुरेश मोरे, कॉ. शिवाजी मोरे भी मौजूद थे। इस समय कॉ. ढमाले और कॉ. काकुस्ते ने पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा कि पिछले 26 नवंबर से दिल्ली में विभिन्न बोर्डों पर किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन चल रहा है। इस आंदोलन को आठ महीने हो चुके हैं।
हजारों किसान सीमा पर बैठे हैं, जब तक मोदी सरकार कोरोना काल के दौरान बनाए गए तीन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त नहीं कर देती और सभी कृषि वस्तुओं के लिए न्यूनतम मूल मूल्य की गारंटी देने वाला कानून नहीं बना देती, तब तक घर नहीं लौटने का संकल्प लिया है। इन दिनों कई जगहों पर घुटने भर पानी है। आंदोलन स्थल के शौचालय पानी में डूबे हुए है। ऐसे में भी किसान अड़े हुए है। सत्यशोधक किसान सभा और महाराष्ट्र के श्रमिक किसान संगठन के कार्यकर्ताओं ने धूलिया, नंदुरबार, नाशिक, अहमदनगर, बुलढाणा और पुणे का दौरा किया। 15 अगस्त के बाद आंदोलन तेज होगा। तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के किसान नेता भी दिल्ली में किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने मॉनसून सत्र में केंद्र के कानून में मामूली बदलाव किया है। महाराष्ट्र सरकार को उस कानून को वापस लेना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की है की जिस तरह पंजाब, राजस्थान और झारखंड ने किसान आंदोलन के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया था, उसी तरह महाराष्ट्र सरकार किसान विरोधी कानूनों को भी मंजूरी दे। 9 अगस्त को आदिवासी दिवस और भारत छोड़ो दिवस महाराष्ट्र में किसानों से किसान आंदोलन का समर्थन करने की अपील करेगा। इसके लिए हम विभिन्न जिलों में एक लाख पर्चे बांटेंगे। इसे पांच लाख लोगों तक पहुंचाने की योजना है। साथ ही 14 अगस्त को हर ग्राम पंचायत से धरना प्रदर्शन किया जाएगा। उस समय तलाठी, सर्कल को ज्ञापन दिए जाऐंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने 15 अगस्त के बाद जेल में व्यापक आंदोलन करने की चेतावनी दी थी। साथ ही यह भी कहा कि राज्य की प्रत्येक ग्राम पंचायत 15 अगस्त को दिल्ली में आंदोलन का समर्थन कर रही थी और तीन किसान विरोधी कृषि कानूनों को निरस्त करने और गारंटी कानून बनाने के लिए एक प्रस्ताव का आह्वान कर रही थी।
महाराष्ट्र के कार्यकर्ता दिल्ली आंदोलन में शामिल होने के लिए बेताब हैं। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त के बाद योजना बनाई जाएगी।बीजों का मुआवजा दें- जिले में बारिश पूरी तरह से बंद है। कुएं का जलस्तर भी नीचे आ गया है। इस वजह से इस साल सूखा पड़ा है। बारिश नहीं होने के कारण किसानों को दोहरी बुवाई करनी पड़ी है। किसानों के बीज बर्बाद हो गए है। इसलिए सरकार से मांग की जा रही है कि किसानों को सभी बीजों का मुआवजा दिया जाए।