साक्री तहसील में खेती को लेकर जगी उम्मीद
उमस भरी गर्मी से लोगों को मिली निजात
साक्री. तहसील के 10 मंडल क्षेत्रों में सोमवार को औसत 25 मिमी बारिश हुई. बारिश से आम लोगों को एक ओर उमसभरी गर्मी से राहत मिली है वहीं किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है., जिन्होंने विगत दो हफ्ते पहले बुआई की थी, उनकी फसलों को इस बरसात से जीवनदान मिला है. जिन्हें अभी बुआई की प्रतीक्षा थी, उनके लिए ये बरसात वरदान है. क्योंकि इस बरसात के साथ ही बचे हुए किसानों ने अपने बुआई के काम शुरू कर दिए हैं.परिसर में किसान बीज व उर्वरक खरीद रहे हैं.
4 मौसमों में बंटी तहसील
साक्री तहसील क्षेत्र मुख्य रूप से चार अलग मौसमों में बंटा है. जहां खरीफ में गेहूं, बाजरा, ज्वार, दालें, कपास, सोयाबीन, मक्का रागी, चावल, मूंगफली, प्याज जैसी फसलें ली जाती हैं. पश्चिम पट्टा चूंकि अधिक वर्षा होनेवाला इलाका है. जिसमें पिंपलनेर मंडल क्षेत्र में 48 मिमी (159), कुडाशी 30 मिमी (217), उमरपाटा 28 मिमी(169) दहिवेल 23 मिमी (192) बरसात दर्ज हुई है. यहां चावल, रागी और दालों की खेती की जाती है. जहां अभी और ज्यादा बारिश की प्रतीक्षा है. लेकिन शुरुवाती पौधारोपण के काम किसानों ने शुरू कर दिए हैं. पौधों से ही चावल और रागी का खेतों में रोपण होता है.
सोमवार को हुई 25 मिमी बरसात
साक्री परिसर में सोमवार को 25 मिमी बरसात दर्ज हुई. अब तक 178 मिमी बारिश इस मौसम में अब तक हुई है. यहां गेहूं, बाजरा, ज्वार, सोयाबीन व मक्के की बुआई विगत हफ्ते हुई, इस हफ्ते बचे किसानों ने बुआई शुरू कर दी है. काटवान परिसर में कासारे में 19 मिमी (अब तक कुल 152 मिमी), म्हसदी में 23 मिमी (167) बरसात बुआई के लिए संतोषप्रद है.काट्वान क्षेत्र के गांवों में बुआई का लगभग यही रुख है. मालमाथा परिसर में निजामपुर मंडल में 21(183) मिमी बारिश हुई, इसी क्षेत्र के दुसाने मंडल में 20 मिमी (234) बारिश दर्ज हुई है. अपने कपास, मूंगफली व प्याज की उपज के लिए मालमाथा परिसर जाना जाता है. सोयाबीन भी यहां किसानों में प्रचलित है.
यहां से मंडी पहुंचती है प्याज
निकट राज्य की बड़ी मंडियों में इसी इलाके से प्याज की आपूर्ति होती है. कुल मिलाकर बरसात की शुरुवात अच्छी रही. परिसर के किसान आनंदित है एवं अपने खेती के कामों में फिलहाल व्यस्त हो गए हैं. इन क्षेत्रों में लगभग हर हर तरह की फसलें होती हैं. इस वर्ष पर्याप्त बारिश की उम्मीद है. इसी लिए किसान भी खेती काम में जुट गए हैं.