गिरीश महाजन ‘आउट’, जयकुमार रावल ‘इन’, चुनाव नजदीक आते ही शुरू हुई गुटबाजी!

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    नाशिक. नाशिक महानगरपालिका चुनाव (Nashik Municipal Elections) को लेकर भाजपा (BJP) में मायूसी बढ़ गई है और नाशिक प्रभारी पद को लेकर विवाद प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल (Chandrakant Patil) तक पहुंच गया है। सूत्रों ने बताया कि इस विवाद में गिरीश महाजन (Girish Mahajan) के गुट को धक्का लगा है। नाशिक के सभी निर्णय गिरीश महाजन द्वारा लिए जाते हैं, इसलिए प्रभारी जयकुमार रावल (Jaykumar Rawal) ने नाशिक (Nashik) से दूरी बनाए रखी थी। चंद्रकांत पाटिल ने नाशिक के पदाधिकारियों को आश्वासन दिया है कि अब सभी फैसले जय कुमार रावल ही लेंगे। 

    इस बीच, इस समूह में खुशी का माहौल है क्योंकि स्थानीय विधायकों के साथ पदाधिकारियों ने नाशिक में पार्टी को यह समझाने में कामयाबी हासिल की है कि महाजन के कारण पार्टी में दरार पैदा हो रही थी। 7 महीने में नाशिक महानगरपालिका चुनाव आने के साथ ही भाजपा के भीतर संघर्ष तेज हो गया है।

    महाजन को स्थानीय नेताओं पर भरोसा नहीं

    अधिकारियों का आरोप है कि नाशिक महानगरपालिका को लेकर सारे फैसले लेने वाले गिरीश महाजन को स्थानीय नेताओं पर भरोसा नहीं है। अब इन नेताओं को पूर्व विधायक बालासाहब सानप का समर्थन मिलने से नाशिक में महाजन का दबदबा हिल गया है। सानप ने चंद्रकांत पाटिल की मदद से महानगरपालिका में बदलाव करते हुए महाजन समर्थकों को हटाने में कामयाबी हासिल की थी। सूत्रों ने बताया कि उसी के अगले अध्याय के रूप में, सानप ने स्थानीय नेताओं को हाथ में लिया और शनिवार को महाजन के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाया। स्थायी समिति के सदस्यों के चयन से नाराज रावल भी समूह में शामिल हो गए। महानगरपालिका चुनाव को लेकर पार्षदों में नाराजगी है। सानप समूह पाटिल को यह समझाने में सफल रहा है कि सत्ता कायम रखनी है तो नाशिक में बदलाव करना होगा।

    महाजन लेते थे सारे निर्णय

    पुणे में प्रभारी रावल पाटिल की उपस्थिति में विधायक प्रा. देवयानी फरांदे, एड. राहुल ढिकले, मेयर सतीश कुलकर्णी, ग्रुप लीडर अरुण पवार, नगर अध्यक्ष गिरीश पाल्वे, विजय साने, लक्ष्मण सावजी, प्रशांत जाधव ने एक बैठक की। जब पाटिल ने रावल से इस बारे में पूछा तो पता चला कि वह प्रभारी होने के बावजूद भी निर्णय महाजन ले रहे हैं। अन्य पदाधिकारियों ने नीलेश बोरा के हस्तक्षेप का बचाव किया। उसके बाद पाटिल ने कहा कि आगे के सभी फैसले रावल लेंगे और उनके नेतृत्व में महानगरपालिका की सत्ता फिर प्राप्त की जाएगी।

    पुराना गुट फिर एक साथ

    भाजपा के पास एक विधायक, एक पूर्व विधायक और संगठन के 2 पदाधिकारियों, इस प्रकार 4 धुरंधरों की चौकड़ी है। इन नेताओं की आपस में दोस्ती नहीं है, लेकिन इनके पद हिलते ही चारों साथ आ जाते हैं। इसका प्रयोग भी महाजन के समय में हो गया है। चारों चंद्रकांत पाटिल को यह समझाने में सफल रहे हैं कि महाजन की वजह से पार्टी मुश्किल में है।

    दोनों के इस्तीफे मांगें

    स्थायी समिति की शक्ति को बनाए रखने के लिए चुनाव के समय वफादार सदस्यों की नियुक्ति की गई थी। यह निर्णय लिया गया कि गणेश गीते के अध्यक्ष चुने जाने के बाद हिमगौरी आडके अहेर और पूर्व महापौर रंजना भानसी इस्तीफा दे देंगे, लेकिन चुनाव के 2 महीने बाद भी दोनों के इस्तीफे नहीं लिए गए थे इसलिए पार्टी में नाराजगी थी इसलिए पाटिल ने दोनों से इस्तीफा मांगकर नए सदस्यों की नियुक्ति का आदेश दिया।