दोबारा घोषित किया जाए दाम
साक्री. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने हाल ही में अनाज व कृषि उपज के आधार भूत (सूत्र पर आधारित) दाम घोषित किये हैं. उनके दावे के अनुसार यह दाम स्वामीनाथन समिति द्वारा दिए गए सूत्रानुसार है, जिसकी मांग किसानों के संगठनों द्वारा की जा रही है. लेकिन ये चालाकी से किसानों को बेवकूफ बनाने की कोशिश भर है, ऐसा सार्वजनिक पत्र प्रदेश के अखिल भारतीय कष्टकरी व श्रमिक शेतकरी (मेहनतकश और काश्तकार मजदूर) संगठन द्वारा प्रदेश के अध्यक्ष कामरेड राजेंद्र बावके और सचिव कामरेड सुभाष काकुस्ते के माध्यम से जारी किया गया है. उन्होंने मांग की है कि मुद्रास्फीति (महंगाई) सूचकांक के अनुसार कृषि उपज के दामों में वृद्धि रखकर स्वामी नाथन समिति के सूत्र से अनाज के सूत्राधारित (आधारभूत) दाम दोबारा घोषित किए जाएं. कामरेड काकुस्ते ने कहा कि, 2014 के चुनावी प्रचार में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि वे स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करेंगे.
50 प्रतिशत लाभ का वादा भुलाया
किसानों को उत्पादन की लागत के 50 प्रतिशत मुनाफा दाम घोषित करने का वादा किया गया था. चुनाव के बाद इसे भुला दिया गया. सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया. जिसके मुताबिक स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करना संभव नहीं है. देश भर के किसानों के आंदोलन से मजबूर होकर सरकार ने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशें लागू करने की घोषणा की. लेकिन सरकार ने C-2 की बजाय फॉर्मूला A-2 (एफ एल) के अनुसार दाम की घोषणा की. किसानों को कुछ नहीं मिला. सरकार द्वारा अनाज के सूत्राधारित दामों की घोषणा हुई है, विगत पांच साल की तुलना में औसत निकाला जाए तो ये सबसे न्यूनतम है. सूत्राधारित दाम भी मौजूदा मुद्रास्फीति के औसत से जोड़ा जाए तो स्वाभाविक रूप से अधिक ही आएगा. जो नहीं बढ़ रहा है.
मात्र 1245 रुपए दाम घोषित
इस वर्ष सिर्फ 1,245 रुपये घोषित हुई है. ये न्यायसंगत नहीं है. इसी तरह हर फसल के दाम जांचे जा सकते हैं. काकुस्ते ने सरकार से अनुरोध किया कि, किसान महासभा ने कृषि उपज के दामों में वृद्धि का विस्तृत कोष्ठक जारी किया है. इसके अवलोकन से स्थिति साफ हो सकेगी. सरकार द्वारा घोषित 14 फसलों का सूत्राधारित दाम की घोषणा धोखाधड़ी है.