Holi festival faded due to lockdown

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    साक्री. होलिका दहन के सार्वजनिक त्यौहार पर कई लोग  खानदेश में  होली माता का पूजन नहीं कर पाए। कइयों ने होली (Holi) के नाम पर आग जलाकर पूजन किया और भोग लगाकर अपनी परंपरा को खंडित होने से बचाया। कई लोग अपनी पूजा सामग्री और माता का भोग-चढ़ावा लेकर वाहनों पर होलिका दहन का स्थान ढूंढते नजर आए। सार्वजनिक होली पर बंदी से प्रशासन और पुलिस की भूमिका ने होली के त्यौहार (Festival) के रंग में भंग डाल दिया। रंग नदारद होने से माहौल पूरा फीका नजर आया।

    हर वर्ष होली के त्यौहार पर शहर के गली-चौराहों पर लगने वाली होली और पूजने वाले स्त्री-पुरुष और परिवार का दृश्य बड़ा ही अनुपम हुआ करता था। इस वर्ष कोरोना के प्रकोप के चलते प्रशासन की ओर से मिनी लॉकडाउन लगा दिया गया है, मानो त्यौहारों के देश में त्यौहार को नजर लग गई है।

     कारोबारियों में नाराजगी देखी गई

    हर वर्ष होली के मौके पर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक रंग, मिट्टी और पानी से सरोबार सड़कों व गलियों में देखे जाते थे। चौराहों पर पानी की रंग मिलाई टंकियां भरी होती थीं और बच्चे खूब मस्ती करते थे। इस वर्ष यह नजारा नदारद रहा। कहने को छोटे बाल-गोपाल मंडली अपनी गलियों में एक-दूसरे पर पानी फेंकते नजर आए। क्योंकि बीते 3 दिनों से दुकानें बंद रहीं, जिसके कारण बच्चे न रंग खरीद सके, न पिचकारी। कारोबारियों में नाराजगी देखी गई। त्यौहार के दिन होते हुए दुकानें बंद रखनी पड़ रही हैं। सामान्य के साथ ही त्यौहारी-ग्राहकी भी छीने जाने का दर्द लोगों के चेहरे पर साफ झलक रहा था। इस वर्ष की होली दुकानदारों और होली का सामान बेचने वालों के लिए बहुत ज्यादा खराब रही।

    घर से बाहर नहीं निकले लोग

    प्रशासन और पुलिस की ओर से सख्त चेतावनी जारी किए जाने से लोग त्यौहार पर ज्यादा तामझाम नहीं कर सके। घर से बाहर नहीं निकल सके। रंगों और मिठाइयों के अभाव में त्यौहार फीका ही रहा। न रंग बिके, न पिचकारी और न ही मिठाई। सार्वजनिक होलिका दहन का आयोजन नहीं हो पाया। घरों में अंगीठी जैसी आग जलाई गई और उसी आग को होलिका माता मानकर भोग लगाया गया।कहीं 2-4 घर मिलकर गली के कोने में माता पूजन हेतु काम चल जाए, ऐसी छोटी सी होली जलाई गई। त्यौहार का ऐसा हाल होने से लोगों में भारी निराशा छाई रही।