Gift to government employees on Makar Sankranti, 3% increase in dearness allowance
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  • लॉकडाउन में बनाए 1 लाख मास्क, 15 से 20 लाख की आमदनी
  • 6 करोड़ हर वर्ष राजस्व अर्जित करता है जेल का कारखाना विभाग
  • जेल में चलते हैं 9 कारखाने

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नाशिकरोड. राज्य की जेलों में कैदियों के वेतन में वृद्धि कर दी गई है, क्योंकि कई व्यवसाय बंद हो गए हैं और लॉकडाउन के कारण लोगों की नौकरियां भी छूट गई हैं. नाशिकरोड सेंट्रल जेल के कैदियों ने लॉकडाउन में एक लाख मास्क बनाए और अपने वेतन से बहुत पैसा कमाया. जेल अधीक्षक प्रमोद वाघ और फैक्ट्री मैनेजर पल्लवी कदम ने यह जानकारी दी है. नाशिकरोड जेल में बढ़ई, लोहार, मूर्तिकार, बुनाई, बेकरी, रसायन आदि जैसे 9 कारखाने हैं. यह विभाग हर साल 6 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व उत्पन्न करता है. इसके अलावा, चालीस लाख रुपए कृषि से कमाए जाते हैं. जेल में 2225 कैदी हैं. जिनमें से 1000 न्यायिक हिरासत में हैं. केवल सजायाफ्ता कैदियों को ही काम पर लगाया जा सकता है. उन कैदियों को 20 सितंबर से वेतन वृद्धि दी गई है. 

20 सितम्बर से की गई वेतनवृद्धि

कुशल कैदियों को एक दिन में 61 रुपये का भुगतान किया जाता है. यह अब 67 रुपए कर दिया गया है. अर्ध-कुशल कैदियों का वेतन 55 रुपये से बढ़ाकर 61 रुपये कर दिया गया है, जबकि अकुशल कैदियों का वेतन 44 रुपये से बढ़ाकर 49 रुपये कर दिया गया है. यह वेतन कैदी अपने घर भेज सकता है. वकील की फीस का भुगतान कर सकता है. कैंटीन का खर्च भी दे सकता है. कुछ राशि का भुगतान रिलीज के समय किया जाता है. इसके अलावा, कैदियों को अच्छा नाश्ता, दिन में दो बार भोजन, स्वास्थ्य, पुस्तकालय और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. देश की कई जेलें कोरोना से संक्रमित हैं. 

कुशल कैदियों को एक दिन का 61 की जगह अब मिलेंगे 67 रुपए

मुंबई की आर्थर रोड जेल में डेढ़ सौ कैदियों को रखा गया था. हालांकि, नाशिकरोड जेल के एक भी कैदी या कर्मचारी को कोरोना की शिकायत नहीं हुई है. इसका मुख्य कारण न केवल स्वास्थ्य उपाय हैं, बल्कि कैदियों को नियमित रोजगार प्रदान करके मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने की सफलता भी है. अन्य जेलों में लॉकडाउन के कारण कच्चे माल की कमी के कारण उनके कारखाने बंद हो गए. नाशिकरोड जेल द्वारा उचित योजना के कारण यहां 9 कारखाने चलते रहे. इसलिए कैदियों को अच्छी मजदूरी मिलती थी. 

रेलवे के लिए बनाए 80,000 पेपर बैग

सरकार को राजस्व मिलता था, जबकि उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सामान मिलता था. नाशिकरोड जेल के तीस कैदियों ने लॉकडाउन में कपास के एक लाख मास्क बनाए. इनकी कीमत 15 रुपये से 20 रुपये के बीच है. जिला अस्पताल और संदर्भ अस्पताल, महाराष्ट्र बैंक, बड़ौदा बैंक, राज्य की सभी जेलों, नाशिकरोड प्रेस, गणेश कंपनी, रेलवे सुरक्षा बल, गैर-सरकारी संगठनों, हाउसिंग सोसाइटियों आदि ने हजारों मास्क खरीदे हैं. इसमें से जेल को 15 से 20 लाख रुपये की आमदनी हुई है. जबकि इस साल जेल के कैदियों ने रेलवे के लिए 80,000 पेपर बैग बनाए.