खरीफ की प्याज़ की कटाई शुरू

  • 10/15 दिनों में बिक्री के लिए पहुंचेगी मंडी

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येवला. इन दिनों मौसम की खराबी के कारण प्याज़ की फसल सड़ने लगी है. लगाई गई प्याज आधी खराब हो गई है. उस पर दाम ऊंचे हैं, लेकिन फसल न होने से पारंपारिक उपज के लिए पर्याय ढूंढकर किसानों ने प्याज़ की बुवाई का पर्याय निकाला है. जिले में येवला, चांदवड और कसमादे इलाकों में एक हजार हेक्टेयर के आसपास के क्षेत्र पर प्याज़ की बुवाई की गई है. मौसम की शुरुवात में जिन किसानों में प्याज़ लगाई, वह अब कटाई के लायक हो गई है. जुलाई के दूसरे सप्ताह में लगाई गई प्याज़ 10/15 दिनों में मंडियों में बिक्री के लिए आ जाएगी.

पिछले दिनों की बारिश के कारण खरीफ की फसल, प्याज़ और गर्मी की प्याज की फसल अस्त व्यस्त हो गई है. रांगडा, लाल और गर्मी की प्याज की फसल की एकसाथ बुवाई से बीजों की कमी होने लगी थी, जिससे किसानों के लिए समस्या निर्माण हुई थी. प्याज उत्पादक किसानों ने खरीफ के मौसम में प्याज लगाने को महत्व दिया. सायगांव के अनेक प्रयोगशील किसानों ने प्याज की बुवाई की. कुछ किसानों की प्याज कटने के लिए तैयार है.

प्रगतशील किसान भागूनाथ उशीर ने खरीफ की प्याज के उत्पादन प्रतिकूल परिस्थिति पर मात करते हुए रेंडाला, ममदापूर में खेतों में 2 एकड़ खरीफ प्याज की बुवाई की थी. तहसील और इलाके में खरीफ लाल प्याज की फसल, लगी हुई प्याज पूरी तरह से नष्ट होने से बोई गई खरीफ प्याज का नुकसान कम हुआ है. सभी फसलों के रोगों का सामना करते हुए 75 प्रश प्याज़ सुरक्षित है. इस साल किसानों द्वारा अगले साल के लिए प्याज की फसल के लिए पहले ही घरों में बीज भंडारण करने पर जोर दिया जा रहा है.

मैंने महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय राहुरी में विकसित किए गए बसवंत 780 प्रजातियों के बीज लगाए हैं. बोई गई प्याज़ से 45 से 50 क्विंटल एकड‍. प्याज‍ उत्पादित की जाएगी, ऐसा भरोसा है. बोई गई प्याज़ की तुलना में काटी हुई प्याज़ का खर्च 30 प्रश कम है.

-भागूनाथ उशीर, प्रयोगशील किसान, उत्तर पूर्व भाग, येवला