MP Dr. Bharti Pawar

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    लासलगांव. केंद्र सरकार ने हाल ही में अंगूर क्लस्टर परियोजना (Grapes Cluster Project) के लिए नाशिक कृषि विभाग (Nashik Agriculture Department) महाराष्ट्र के लिए 100 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। कृषि विभाग ने इस योजना को सफल बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक का आयोजन किया, लेकिन उसमें बड़ी खामियां नजर आयी। अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों तक को इस बैठक की सूचना नहीं दी। इस पर सांसद डॉ. भारती पवार (MP Dr. Bharti Pawar) भड़क गयीं। 

    उन्होंने बैठक का विरोध किया और कहा कि ऐसे किसी परियोजना को सफल नहीं बनाया जा सकता। बैठक का आयोजन करने की इतनी जल्दी क्या थी, बैठक में सभी लोगों का होना आवश्यक है तभी केंद्र सरकार का सपना साकार होगा। सांसद ने बैठक का बहिष्कार कर दिया।

    परियोजना के 100 करोड़ मंजूर

    एनएचबी के तहत पायलट परियोजना के माध्यम से नाशिक जिले के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं क्योंकि नाशिक जिले में उच्च गुणवत्ता वाले अंगूर का उत्पादन किया जाता है और विशेष रूप से दिंडोरी, निफाड, चांदवड़ क्षेत्रों को अंगूर की पंढरी के रूप में जाना जाता है। पूरे भारत में इस प्रकार का प्रोजेक्ट प्रायोगिक तत्व के अनुसार किया जा रहा है जिस में नाशिक जिले को भी समावेश किया गया है। इसको लेकर किसानों के प्रति समर्पित देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रुपाला और कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी इन सभी को सांसद डॉ. भारती पवार ने धन्यवाद दिया।

    सूचना न देना निंदनीय

    केंद्र सरकार नाशिक जिले में अंगूर उत्पादक किसानों को आधुनिक पद्धति के अंगूर की खेती और उत्पादन बढ़ाने के लिए भरपूर प्रयत्न कर रही है। इसी का एक भाग यह प्रोजेक्ट भी है लेकिन नाशिक के कृषि विभाग के इस प्रोजेक्ट से संबंधित अधिकारियों ने किसी भी प्रकार की पूर्वसूचना न देते हुए जनप्रतिनिधियों को विश्वास में न लेते हुए बैठक आयोजित करने में जल्दी कर दी। यह बहुत ही निंदनीय है। तीव्र शब्दों में सांसद डॉ। भारती पवार ने इस बैठक का बहिष्कार किया।

    ऐसे कैसे सफल होगी योजना?

    उन्होंने कहा कि कोई भी सरकारी योजना जिसे सफल करना होता है तो किसानों, जनप्रतिनिधि, सरकारी अधिकारियों का इसमें समन्वय होना आवश्यक होता है। फिर भी नाशिक जिले के संबंधित प्रकल्प अधिकारी मनमाना काम कर रहे हैं और जनप्रतिनिधि, द्राक्ष के बागबान संघ के संचालक, अंगुर के किसान यह सभी अगर ऐसी महत्वपूर्ण बैठक में उपस्थित नहीं रहेंगे तो इसका नुकसान सभी को उठाना पड़ सकता है। ऐसे में ऐसी लोक उपयोगी योजना किस प्रकार किसानों तक पहुंचेगी? खुले तौर से कहा जा सकता है कि इसका केवल नुकसान ही होगा और कुछ नहीं। कम से कम जनप्रतिनिधियों की सूचना लेने के लिए उनको विश्वास में लेना आवश्यक है।