नासिक मनपा के अतिरिक्त आयुक्त की दबंगई

  • छीन लिए विभाग प्रमुखों के अधिकार

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नाशिक. जहां मनपा में स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ विरोध हुआ है, वहीं अब अतिरिक्त आयुक्त सुरेश खाडे के एक आदेश ने विवाद खड़ा कर दिया है. निगम में किसी भी कार्य को शुरू करने का आदेश विभाग के प्रमुख या कार्यकारी अभियंता के हस्ताक्षर के साथ दिया जाता है. हालांकि, खाडे ने विभाग प्रमुख के अधिकारों को छीन लिया और उन अधिकारों को बनाए रखने के लिए एक अनूठी नींव रखी और खुद ही सारे अधिकारी अपने पास रख लिये. अधिकारी अब मांग कर रहे हैं कि वह एमबी माप (मेजरमेंट) पर हस्ताक्षर करें.

कार्यकारी अभियंता को कार्य के आदेश पर हस्ताक्षर करने से रोका

मनपा में प्रशासन और नगरसेवकों द्वारा विभिन्न विभागों के विकास कार्य का प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाते हैं. प्रस्ताव प्राप्त करने के बाद, संबंधित विभाग द्वारा अनुमान तैयार किया जाता है. यदि विकास कार्य 5 लाख रुपये से कम है, तो विभाग प्रमुख को कार्य को अनुमोदित करने का अधिकार दिया गया है. यदि इससे अधिक मूल्य का कोई प्रस्ताव है, तो स्थायी समिति, महासभा और आयुक्त सशक्त हैं. अनुमान की मंजूरी के बाद, प्रासंगिक कार्य की निविदा प्रक्रिया को लागू करके स्थायी समिति की मंजूरी फिर से ली जाती है. स्टैंडिंग कमेटी द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद कमीशन आदेश जारी किए जाते हैं. चूंकि अधिकांश प्रस्ताव निर्माण, जल आपूर्ति और ड्रेनेज से संबंधित होते हैं. 

अधिकारियों में भारी नाराजगी

कार्यपालन अभियंता और विभागों के प्रमुखों के हस्ताक्षर के साथ कार्य आदेश जारी किए जाते हैं. निगम की स्थापना के बाद से काम करने का यह तरीका प्रचलित है. नवनियुक्त अतिरिक्त आयुक्तों ने विभाग प्रमुख के साथ-साथ कार्यकारी अभियंता को कार्य आदेश पर हस्ताक्षर करने से रोक दिया है. यदि किसी कार्य के संबंध में कोई कानूनी समस्या है, तो संबंधित अधिकारी को अदालत में इसका खुलासा करना होगा. काम खराब होने पर केवल संबंधित लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाता है. आम सभा में उन्हें नगरसेवकों के सवालों का जवाब देना होगा. इसलिए काम में ख़राबी होने में कमी आएगी, लेकिन उनके अधिकारों को हटाने से इन अधिकारियों में आक्रोश बढ़ गया है. अब संबंधित फाइल स्वयं बनानी होगी और ‘MB’ (मापन पुस्तक) भरना होगा. 

नियमों के अनुसार, अतिरिक्त आयुक्तों को 5 से 10 लाख रुपये के प्रस्तावों को पास करने का अधिकार दिया गया है. इसलिए मैंने यह अधिकार नियमानुसार लिया है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है.

-सुरेश खाड़े, अतिरिक्त आयुक्त