मौखिक साहित्य को दिया जाएगा पुस्तक का रूप

  • पावरा-बारेला समाज साहित्य का होगा सृजन

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शिरपुर. पावरा-बारेला समाज के आदर्श और मौखिक रूप में उपलब्ध साहित्य लिखित स्वरूप में लाने के लिए साहित्य सृजन, शब्दकोश सृजन के लिए शहादा जिला नंदुरबार में पावरा समाज उन्नति मंडल के वाचनालय में सभा आयोजित की गई. जहां उपस्थितों में विस्तार से चर्चा हुई.

इससे पहले धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती पर महानायक बिरसा मुंडा, रानी काजल, देवमोगरा माता की प्रतिमा को पुष्पहार अर्पित कर अभिवादन किया गया. नंदुरबार तहसील के शहादा में सातपुडा पावरा समाज उन्नति मंडल कार्यालय में पावरा – बारेला समाज साहित्य पर चर्चासत्र आयोजित किया गया. जिसमें पावरा – बारेला समाज की रीति-रिवाज, परंपरा, रूढ़ी आदि का मौखिक इतिहास लिखित स्वरूप में लाने के लिए शब्दकोश पर विस्तार से चर्चा की गई.

शब्द कोष पर हुई विस्तार से चर्चा

जिसमें पावरा समाज में बोली जानेवाली बारली, राठवी और पाली भाषा में शब्द कोश पर चर्चा की गई. तीनों भाषाओं में प्रयोग में लाए जाने वाले शब्द को लेकर एकमत किया गया.

शब्दकोष के लिए टीम गठित

इस पर कुछ शब्दों को लेकर बहस भी हुई. किंतु अंत में सबकी सहमति बनी. भौगोलिक क्षेत्र के लिहाज से बारेवट्या, देहवाल्या, शिरपुर, चोपडा, रावेर, यावल तथा राठवी भाषा शब्दकोश तैयार करने के लिए टीम का गठन किया गया. इस वक्त पावरा बारेला समाज संगठन के अध्यक्ष नामदेव पटले, सातपुडा पावरा समाज उन्नति मंडल के अध्यक्ष सुरेश मोरे,इंजि. जेलसिंह पावरा, तहसील कृषि अधिकारी अनिल निकुम, जुगनू पटले, चंपालाल निकुम, बबन निकुम, डॉ. विजय पवार, डॉ. जितेंद्र भंडारी, कवि संतोष पावरा, राजू डुडवे, सुनील सुले, मोफतलाल पावरा, भीमराज पावरा, सुनील पावरा, मनोज पावरा, सुनील पावरा, विश्वास पावरा, हारचंद पावरा, पंडित पावरा आदि उपस्थित थे.