पांझरा-कान सहकारी शक्कर कारखाना कर्मियों ने की मदद की मांग

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  • भुखमरी के कगार पर पहुंचे कर्मचारी
  • 20 वर्षों से कर रहे वेतन और भत्ते का इंतजार

साक्री. पांझरा-कान सहकारी शक्कर कारखाना के कर्मचारियों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए कारखाने के लिक्विडेटर तथा जिलाधिकारी संजय यादव और अपने सेवानिवृत्ति के मसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र का ज्ञापन तहसीलदार प्रवीण चव्हाणके को सौंपा. मजदूर तथा किसानों के नेता सुभाष काकुस्ते, अशोक भामरे, बाबुद्दीन शाह आदि ने ज्ञापन दिया.

पांझरा-कान शक्कर कारखाना सन् 1999 में भारी घाटा और गन्ने की कमी होने के चलते बंद हो गया था. इसके बाद कारखाने पर राज्य सहकारी (शिखर) बैंक ने अपना करोड़ों का बकाया वसूलने हेतु कारखाना जब्त किया. तभी से राज्य सरकार ने प्रशासक के तौर पर जिलाधिकारी की नियुक्ति की है. 

3 वर्षों तक किया बिना वेतन काम

कारखाने के मजदूर कर्मचारियों ने कारखाना बंद न हो इस भावना से 3 वर्ष बगैर वेतन लिए काम किया. कारखाने के व्यवस्थापन मंडल ने मजदूरों से किए एक समझौते के मुताबिक आधा वेतन और आगे काम नहीं मिलने पर 45 प्रतिशत वेतन देने का वादा किया था, जो कभी पूरा नहीं हुआ. मजदूरों को एक पाई भी नहीं मिली. विगत वर्षों में मजदूरों ने जो मिला, वह काम करते हुए गुजारा किया. 

तंगी हालात में 350 मजदूरों ने तोड़ा दम

बीमारी और निर्धनता के चलते इलाज नहीं होने से अब तक 350 मजदूर दम तोड़ चुके हैं. बचे 300 के लगभग मजदूर जो बूढ़े हैं और काम करने में अक्षम हैं, बेबस जिंदगी बिता रहे हैं. उनको अपने वेतन और भत्ते की आज भी प्रतीक्षा है. लाकडाउन  काल में परिवार में गुजारे के लिए काम करनेवाले बच्चों का रोजगार भी छीन गया. केंद्र सरकार से मिलनेवाली सेवानिवृत्ति में गुजारा हो नहीं सकता. मजदूरों ने जिलाधिकारी (कारखाने के परिसमापक) से मांग की है कि वे उन्हें कम से कम जिंदा रहने के लिए राज्य सरकार की ओर से अंतरिम कोई मदद दी दिलाएं.

 केंद्र सरकार को भेजा ज्ञापन

केंद्र सरकार से की प्रार्थना में कोश्यारी समिति की सिफारिश के तहत हर माह 3 हजार रुपये वृत्ति व महंगाई भत्ता देंने,  हर ईपीएस वृत्तिधारक को 9 हजार रुपये हर माह दिए जाएं, केरल हाईकोर्ट के आदेशानुसार एक तरफा सभी बदलाव रद्द हो, मजदूरों के परिवार को स्वास्थ्य व खाद्य सुरक्षा मिलें, ‘हायर पे हायर पेंशन’ के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में दायर पुनर्विचार याचिका वापस लें आदि मांगे की गई हैं. सुभाष काकुस्ते, अशोक भामरे, बाबुद्दीन शाह, वाई.एस.पाटिल, शिवाजी सोनवणे, हिरामन सोनवणे, रघुनाथ सोनवणे, भटू सोनवणे आदि मजदूर प्रतिनिधियों ने ज्ञापन दिया.