अनलाक से पहले ही बेखौफ थे लोग

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 बाजारों में फिर शुरू हुई चहल-पहल  

साक्री. उद्धव ठाकरे सरकार ने अनलाक सोमवार से लागू कर दिया है. जिसके चलते लाकडाउन में बंद की गईं सभी सेवाएं क्रमशः खुलने लगी हैं. किंतु अनलाक डाउन की घोषणा तो अब हुई है, विगत हफ्ते से लाकडाउन खुलने की आहट लोगों मिल चुकी थी. कोरोना प्रकोप के बीच संक्रमण की घटनाएं निरंतर ज़िले में जारी हैं. किंतु सभी ओर पूरा बेखौफ नजारा है. हाल ही में तहसील के पिंपलनेर शहर में एक साथ दो परिवारों को कोरोना पाजिटिव पाया गया था, जिसके मद्देनजर प्रशासन ने संपूर्ण लाक डाउन घोषित किया व लोगों में भी इस घटना का डर व्याप्त होने से वहां अपेक्षाकृत शांति बनी है.

बेखौफ घूम रहे लोग

 ज़िले  के बड़े गांवों का हाल कोरोना संक्रमण निर्देशों पर संतोषप्रद नहीं है.साक्री शहर सहित ज़िले में फिलहाल बेखौफ़ी का आलम है.जिसको लेकर जनसाधारण के साथ-साथ व्यवसायी भी, संभाव्य महामारी के विस्फोट के अंदेशे से परेशान हैं. कुछ व्यवसायी चाहते थे कि सुबह नौ बजे से पांच बजे तक का समय लाक डाउन के हिसाब से ज्यादा है. दोपहर दो या तीन बजे तक ही समय दिया जाना चाहिए. दरमियान, शहर की सभी जरूरी-गैरजरूरी  छोटी बड़ी दुकानें खुल गई हैं, जिसमें सैलून से लेकर खुले में मांस बेचने वाले भी शामिल हैं. धीरे धीरे लोग अपनी पूर्व स्थिति पर लौट रहे हैं, जैसा कुछ हुआ ही ना हो. सड़कों, बाजारों में भीड़ देखी जा सकती है.

सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर व्यवसायी ही गंभीर

व्यवसायी कुछ ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग की ओर गंभीर हैं. मानसून की आहट महसूस की जा रही है. जिसके चलते किसान अपने खेती के काम में लगने से पहले जरूरी सामान खरीदते हैं. जिसके लिए बैंकों में हर वर्ष इसी समय फसल (पर) कर्ज मिलता है. इसलिए शहर के बैंकों में एक ओर किसानों की भीड़ है. दूसरी ओर केंद्र या राज्य सरकार की योजनाओं के पैसे खातों में डाले हैं कि सूचना या रकम निकालने की हड़बड़ी, दोनों ही सूरत में बैंकों में भीड़  स्वाभाविक है.बैंकों के पास कर्मचारियों की कमी और ग्राहकों को कोरोना निर्देशों के तहत सुविधा देने की अक्षमता बेहद खतरनाक है.ज़िले में फिलहाल सुकून इतना ही है कि अभी भी स्कूलें व कालेज बंद हैं. तहसील व जिले के अंतर्गत बसें चलाने की छूट है. इसके बावजूद अभी सार्वजनिक परिवहन के प्रति भय व्याप्त है. 

यात्रियों के अभाव में बसें बंद

कुछ बसें चलाईं भी गईं परंतु यात्रियों के अभाव से बंद करनी पड़ीं. आवश्यक होगा तो ही रिक्शा जैसे वाहन निकलेंगे, जिसके चलते निजी मोटर साइकिलें व अन्य कारों जैसे वाहन बड़ी संख्या में रास्तों पर आ गए.कहीं कोई रोकटोक नहीं तथा कोई दिशा निर्देश भी जारी नहीं किए गए हैं. इसके परिणाम स्वरूप बगैर काम घुमंतू जनसाधारण भी रास्तों पर बेझिझक निकल आए हैं. जहां सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क नदारद है.समझदार नागरिकों की मांग है कि चाहे लाक डाउन भी है तो उसको सलीके से अमली जामा पहनाना आवश्यक है. वर्ना ये केवल दिखावा बन कर राह जाएगा जिसकी कीमत हम सबको चुकानी पड़ेगी.