रेलवे फाटक बंद कर बनाए गए भूमिगत मार्ग में भरा पानी

  • इंजीनियरों की लापरवाही, भुगत रही जनता
  • ऊंचाई कम होने से नहीं जा पा रही एसटी बसें
  • विद्यार्थियों एवं स्थानीय लोगों की मुसीबतें बढ़ीं

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मनमाड. रेलवे प्रशासन द्वारा मनमाड-औरंगाबाद, मनमाड दौंड मार्ग पर स्थित फाटक को बंद करके उसकी जगह बनाये गए भूमिगत मार्ग में पानी भर जाने से यात्रियों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. भूमिगत मार्ग की ऊंचाई इतनी कम है कि उसके भीतर से एसटी बस समेत बड़े वाहनों का गुजरना मुश्किल हो गया है जिससे कई गांवों का मनमाड से सम्पर्क टूट जाता है. मार्ग से सटा एक रास्ता बनाया गया है लेकिन उसमें भी इतने बड़े गड्ढे हो गए हैं कि उससे भी आने-जाने के लिए लोगों को  दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. रेल मार्गों पर खुले फाटकों के कारण बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए रेलवे प्रशासन द्वारा देश के सभी 30 हजार रेलवे फाटकों को बंद करके उसकी जगह भूमिगत मार्गों (अंडरपास) का निर्माण किया गया है.

इसी मार्ग से मंडी जाते हैं किसान

इसी के तहत मनमाड-औरंगाबाद,मनमाड दौंड मार्ग पर स्थित रेलवे फाटक को बंद करके उसकी जगह भूमिगत मार्ग का निर्माण किया गया है. रेलवे फाटक की दूसरी ओर मालेगांव,वंजारवाडी,सटाना,बेजगाव,भालुर,कह्री,एकोली घाडगेवाडी, निशानवाडी,मोहेंगांव समेत अन्य कई गांव हैं. इन सभी गांवों के हजारों आम लोग, किसान,छात्रों का संबंध एवं संपर्क मनमाड से आता है. कुछ गांवों के लोगों की दुकानें समेत अन्य कारोबार मनमाड में है. वे सुबह यहां आते हैं और रात को गांव लौट जाते हैं. वहीं किसान ट्रक,ट्रैक्टर एवं अन्य वाहनों में भरकर प्याज,अनाज समेत अन्य सब्जियां उपज मंडी में लेकर आते हैं. यहां तक की सभी गांवों छात्र-छात्रायें शिक्षा के लिए भी मनमाड के विभिन्न स्कूल एवं कालेज में आते हैं. इनमें अधिकांश छात्र गरीब हैं.

बारिश में बढ़ जाती हैं मुसीबतें

सभी छात्रों के लिए एसटी बस में कम दामों में मासिक पास दिया जाता है. वहीं गांवों के लोगों के लिए भी यातायात का सबसे सस्ता साधन आज भी एसटी ही है.एसटी हो या फिर किसानों के ट्रक,ट्रैक्टर एवं अन्य वाहन सभी रेलवे फाटक से होकर गुजरते थे. रेल प्रशासन द्वारा मनमाड-औरंगाबाद,दौंड मार्ग पर स्थित रेलवे फाटक को बंद करके उसकी जगह भूमिगत मार्ग का निर्माण किया गया है.लेकिन  मार्ग की ऊंचाई इतनी कम है कि उसके भीतर से एसटी का जाना लगभग मुश्किल है, इसलिए एसटी महामंडल द्वारा एसटी बंद कर दी गयी है. जिसके कारण छात्रों एवं गांव वालों को  काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.भूमिगत मार्ग में बड़ी गाड़ियों को मोड़ना (टर्न मरना) संभव नहीं हो रहा है.

घुटने तक भर जाता है पानी

बारिश में भूमिगत मार्ग में करीब घुटने इतना पानी जमा होने लगा है. जिसके कारण एक तरह से भूमिगत मार्ग हजारों लोगों के लिए मुसीबत बन गया है.इस मार्ग से होने वाली दिक्कतों को लेकर गांव के लोगों ने कई बार रेल प्रशासन को शिकायत भी की थी.

भाजपा सांसद का आश्वासन भी निकला कोरा

यहां तक इस क्षेत्र की भाजपा सांसद ने भी मनमाड आकर भूमिगत मार्गों का मुआयना करने के बाद रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की थी. उस समय उन्होंने सभी दिक्कतों को दूर किये जाने आश्वासन दिया था लेकिन आज भी समस्या जस की तस बनी हुयी है जिसके कारण लोगों में भारी रोष है. उनका कहना है कि जब भूमिगत मार्ग का निर्माण करते समय रेलवे के अधिकारी,इंजीनियर आदि को इसका जरा भी ख्याल नहीं था कि गेट की दूसरी ओर कई गांव हैं.

गेट पार करके लोगों का मनमाड आना-जाना लगा रहता है इसलिए मार्ग का निर्माण करते समय उसके भीतर से एसटी आसानी से जा पाये,अन्य गाडि़यों को टर्न मारना आसान हो.बारिश के दिनों में मार्ग के भीतर पानी जमा न हो सके, इन बातों का ख्याल रखना चाहिए था लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया. केवल फटक बंद करके भूमिगत मार्ग निर्माण करने को महत्व दिया. उनकी इस मनमानी का खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है.

-किशोर गुजर, किसान