जल भंडारण क्षेत्रों में बारिश का टोटा, बांधों में 30 % ही पानी का भंडारण

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  • किसानों की चिंता बढ़ी
  • प्रशासन की उदासीनता से नहीं निकली गाद

साक्री. तहसील क्षेत्र के 4 हिस्सों में हुई बारिश के दर्ज आंकड़ों से पता चलता है कि औसत अनुसार साक्री, मालमाथा, और काटवान परिसर में अब तक हुई बारिश की औसत से 10 प्रतिशत ज्यादा ही वर्षा हुई है. वहीं पश्चिमी पट्टे में शेष 3 हिस्सों की तुलना में 3 गुना बारिश होती है, लेकिन औसत से अभी भी ये इलाका पर्याप्त बारिश की तलाश में है. तहसील की प्रमुख नदियों का जलग्रहण क्षेत्र पश्चिमी पट्टे में ही स्थित है. इसी परिसर में बांध भी बने हैं. 

चूंकि पश्चिमी पट्टे में पर्याप्त वर्षा नहीं होने से बांधों में अभी जल भंडारण 30 प्रतिशत से भी कम हो पाया है. उक्त बांधों से ही सिंचाई और पेयजल के लिए पानी दिया जाता है. आधे मानसून के खत्म होने के बाद भी बांधों में पर्याप्त भंडारण की कमी चिंता का विषय बनी हुई है. इसे लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है.

50 वर्ष पुराने बांधों की उपेक्षा

पांझरा नदी पर लाटीपाडा स्थित (पिंपलनेर) बांध है, कान नदी पर मालनगांव (दहिवेल)  में बांध है. करीब 50 वर्षों पूर्व उक्त बांधों का निर्माण हुआ था. दुर्भाग्य से उक्त बांध उपेक्षा के शिकार हैं. ना सिंचाई विभाग को इनके रखरखाव की चिंता है, ना ही विधायक या सांसद को.  बांधों में विगत 50 वर्षों में जमी गाद का मसला हो या बांध की दीवार से हो रहा छोटा-मोटा रिसाव हो, जिनको लाभ मिलता है वे किसान भी इसे लेकर बेहद उदासीन रहे हैं. 

आधी रह गई भंडारण की क्षमता

इसके चलते बांधों की जल भंडारण क्षमता आधी रह गई है. राजस्व विभाग पानी की किल्लत और बांध से छोड़ा जानेवाला आवर्तन तथा बारिश आने में बचे समय का गणितीय जोड़ लगाता है, तब सारा समीकरण गड़बड़ा जाता है. जैसे ही बारिश आती है, जलसंकट खत्म हो जाता है, फिर एक बार बांधों की हालत को सब भूल जाते हैं. वर्तमान में पश्चिमी पट्टे के जलग्रह परिसर में अपेक्षित  बारिश नहीं हुई है. तहसील के प्रमुख बांधों की स्थिति ऐसी है,

लाटीपाड़ा-पांझरा बांध में 27 % पानी

लाटीपाड़ा-पांझरा परियोजना में 0.33 टीएमसी भंडारण है, जो बांध की  क्षमता के 27 प्रतिशत है. मालनगांव-दहिवेल परियोजना में  केवल 0.10  टीएमसी पानी है जो बांध की क्षमता से 75 प्रतिशत की कमी दर्शाता है. जामखेलि एक दोनों बांधों की अपेक्षा छोटी परियोजना है, जिसकी हालत और वही खराब है. अभी वहां केवल 0.06 टीएमसी पानी है, जो 14 प्रतिशत के लगभग है.

अक्कलपाड़ा की स्थिति भी संतोषजनक नहीं

तहसील की सीमा पर अक्कलपाड़ा बांध है, जिसकी क्षमता तहसील के कुल जल भंडार के दोगुनी है. पर वहां भी स्थिति कुछ सुहानी नहीं है. अपनी क्षमता के केवल 29.50 प्रतिशत (0.93 टीएमसी) पानी इस बांध में फिलहाल है. इसी बांध से संकट के समय धुलिया जिला और तहसील के बड़े हिस्सों में सिंचाई तथा पेयजल की आपूर्ति की जाती रही हैं. 

आधा बीता मौसम, फिर भी समस्या बरकरार

अगर इस बांध में पर्याप्त भंडारण हो जाता है तो धुलिया शहर और तहसील में पेयजल को लेकर फिक्र नही रहती.वर्ष का मौसम लगभग आधा निकल चुका है और बांधों में अभी भी जरूरत अनुसार जलसंग्रह नहीं हुआ है. पश्चिमी पट्टे में रागी, चावल और दलहन की फसल को अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है, अभी भी इस इलाके में पर्याप्त बारिश की प्रतीक्षा है.