NDDC बैंक के संचालक मंडल से छीने गए कर्ज वितरण के अधिकार

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  •  NDDC बैंक को कर्जमुक्ति के लिए मिले 870 करोड़
  • 450 करोड़ कर्ज बांटने का लक्ष्य
  • 50 करोड़ ही किया जा सका वितरण

नाशिक. आर्थिक तंगी के कारण जिले के किसानों को 450 करोड़ रुपए के कर्ज वितरण के लक्ष्य को पूरा न करने वाले जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक को राज्य सरकार ने राहत दी. पिछले चार माह से महात्मा फुले किसान कर्जमुक्ति योजना के बकाया 870 करोड़ रुपए की निधि आखिरकार जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक को प्राप्त हो गई. 

नाशिक, बीड व उस्मानाबाद इन तीन जिला बैंक को कर्जमुक्ति की रकम सरकार ने दी है. परंतु किसानों को कर्ज वितरण करने के अधिकार संचालक मंडल से अप्रत्यक्ष रूप से छीन लिए हैं. बता दें कि जिले के ग्राम पंचायत चुनाव के चलते नाशिक जिला बैंक को प्राप्त होने वाले महात्मा फुले किसान कर्जमुक्ति योजना के एक हजार करोड़ रुपए नहीं मिले थे. ऐसे में कोरोना संक्रमण के चलते यह निधि सरकार ने रोक दी. 

मात्र 50 करोड़ ही किसानों को दिया कर्ज

दूसरी ओर आर्थिक समस्या में होने के बाद भी 450 करोड़ रुपए कर्ज वितरण का लक्ष्य दिया गया. परंतु बैंक ने केवल 50 करोड़ रुपए का कर्ज वितरण किया. कर्जमुक्ति की रकम मिलने के लिए बैंक ने प्रयास शुरू किया. खरीफ सत्र शुरू होने के बाद भी बैंक के पास निधि न होने से कर्ज वितरण बंद हो गया. इसलिए जिले के किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई. आखिरकार सरकार ने जिला बैंक को कर्जमुक्ति के 870 करोड़ रुपए दिए. इसके बाद संचालकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. परंतु निधि वितरण को लेकर सरकार ने निश्चित किए गए निकष से संचालकों का उत्साव कम हुआ.

किसानों की समस्या होगी दूर

जिला बैंक का संचालक मंडल बर्खास्त करने के लिए सुनवाई शुरू है. इसलिए बैंक ने सचालकों से कर्ज वितरण के अधिकार छीन लिए हैं. इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए बैंक के अध्यक्ष केदा आहेर ने कहा, जिला बैंक को कर्जमुक्ति के रूप में 870 करोड़ रुपए की निधि मिली हुई है. इससे समस्या में फंसे किसानों को फसल कर्ज वितरण किया जाएगा. निधि वितरण को लेकर सरकार ने शर्तें रखी हैं, जिसका पालन किया जाएगा.

निधि वितरण के अधिकार सरकार के पास

सहकार विभाग ने बैंक के खाते में निधि भेज दिया, लेकिन उसका वितरण कैसे करना है, इस बारे में निकष निश्चित किए गए हैं. यह निधि केवल फसल कर्ज वितरण करने के लिए शर्त सरकार ने रखी है. इस बारे में प्राधान्यक्रम निश्चित करने पर उसे मंजूरी लेनी होगी. फसल कर्ज वितरण होने के बाद शेष निधि वितरण का अधिकार सरकार ने अपने पास रखा है. इस निधि से पूंजी धारकों को रकम देने के प्रस्ताव तैयार कर उसे विभागीय सह निबंधक की अनुमति लेनी होगी.