Start Surgical Ward in District Hospital, Black Fungus Patients Will Be Facilitated

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    नाशिक. खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री के साथ एक ऑनलाइन बैठक में विधानसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष नरहरि झिरवाल (Narhari Jhirwal) ने कहा कि ब्लैक फंगस (Black Fungus) के इलाज के लिए नाशिक जिला अस्पताल (Nashik District Hospital) में एक सर्जिकल वार्ड (Surgical ward) शुरू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण कई मरीजों में ब्लैक फंगस से संबंधित लक्षण सामने आ रहे हैं, साथ ही जिले में चिकनगुनिया के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। 

    इन बीमारियों के इलाज में मुश्किलें पैदा की जा रही हैं। ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों की सर्जरी करने के लिए जिला सरकारी अस्पताल में एक अलग चिकित्सा विभाग शुरू किया जाना चाहिए जहां उन मरीजों का ऑपरेशन भी किया जा सके। इस रोग के मरीजों के लिए आवश्यक इंजेक्शनों की संख्या बढ़ाई जाए। वह नाशिक जिले के लिए बुलाई गई स्वास्थ्य विभाग की विशेष बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।

    सर्जिकल सुविधा नहीं होने से होती है परेशानी

    झिरवाल ने कहा कि जिले में कोरोना मामलों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही थी। जिला अस्पताल में ब्लैक फंगस के लिए सर्जिकल सुविधा नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है। जिला अस्पताल में इस बीमारी के लिए अलग से शल्य चिकित्सा विभाग शुरू किया जाए। समर्पित ब्लैक फंगस संचारी अस्पताल घोषित करने के मुद्दे पर बैठक में विस्तार से चर्चा की जाए और ऐसे रोगियों को आवश्यक चिकित्सा सेवाएं समय पर उपलब्ध कराई जाए। ऑनलाइन बैठक में खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री डॉ. राजेंद्र शिंगणे, कलेक्टर सूरज मांढरे, नाशिक जिला सर्जन डॉ. अशोक थोरात और नाशिक मनपा कमिश्नर कैलाश जाधव, स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ-साथ राजस्व विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए।

    जनस्वास्थ्य योजना में किया जाए शामिल

    जो मरीज कोरोना से मुक्त हुए हैं उनकी अब ब्लैक फंगस से पीड़ित होने की अधिक संभावना है। वहीं आम जनता के लिए इस बीमारी का इलाज करना कठिन है। जिले में मरीजों की संख्या को देखते हुए 1000 से 1200 इंजेक्शन की जरूरत है। लेकिन असल में 250 से 300 इंजेक्शन मिलते हैं। बैठक में इंजेक्शन की आपूर्ति बढ़ाने का सुझाव दिया गया था, लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ है। महात्मा फुले जनारोग्य योजना में बीमारी का इलाज करने वाले अस्पताल को शामिल करना आवश्यक है ताकि आर्थिक रुप से कमजोर मरीजों को भी इस भयानक बीमारी से छुटकारा दिया जा सके।