ED's big action against two Gujarat businessmen selling fake Remdesivir injections, attachment of properties
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  • अस्पताल प्रशासन अब भी कर रहा इन्कार

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नाशिक. कोविड भवन के रिकॉर्ड में इंजेक्शन का विवरण पाया गया था. अस्पताल प्रशासन, जिसने शुरू में जोर देकर कहा था कि इंजेक्शन हमारा नहीं था, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि इंजेक्शन सिविल अस्पताल में ही पाया गया था. तो एक ओर इस जानकारी की पुष्टि की गई है कि इंजेक्शन अस्पताल से ही निकाला गया था.

अस्पताल प्रशासन ने, ऐसा कुछ अस्पताल में होने की संभावना से इंकार नहीं किया है तो एक तरह से इस जानकारी की पुष्टि की गई है कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी सिविल अस्पताल से ही हो रही थी. सिविल के कोविड भवन में ठेका श्रमिकों द्वारा इंजेक्शनों की ब्लैकमेलिंग का चौंकाने वाला प्रकार एक स्टिंग ऑपरेशन के माध्यम से उजागर किया गया है. जबकि इन इंजेक्शनों की मांग अधिक थी और पूरे राज्य में आपूर्ति कम थी.

जिला कलेक्टर सूरज मांढरे को जिले के जरूरतमंद मरीजों के लिए इंजेक्शन का एक स्टॉक मिला था. यह देखा जाता है कि सिविल अस्पताल में कालाबाजारी हो रही है तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, ऐसी चेतावनी भी ज़िला अधिकारी सूरज मांढरे ने दी थी. जिला सर्जन व चिकित्सा अधिकारी डॉ. रत्ना रावखंडे और संजय गांगुर्दे की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति नियुक्त की गई और इसकी विस्तृत रिपोर्ट जिला कलेक्टर को सौंपी गई. जब हमारे समझ आया, तब हमारे पास इंजेक्शन नहीं था, इसलिए इस मामले ने एक अलग मोड़ ले लिया. 

डॉ. रावखंडे ने की कोविड भवन में अभिलेखों की जांच

हालांकि, सवाल अनुत्तरित रहे कि यह इंजेक्शन संबंधित कर्मचारी को बिक्री के लिए कहां से आया और इसे मुद्रित मूल्य से कम कीमत पर क्यों बेचा गया. यह मामला गंभीर होने के कारण, जिला कलेक्टर मांढरे ने गवाही दी कि वह मामले की जड़ तक जाएंगे और दोषियों को जेल भेजा जाएगा. इस पृष्ठभूमि में डॉ. रावखंडे ने स्वयं कोविड भवन में अभिलेखों की भी जांच की है. हालांकि जांच समिति ने इंजेक्शन का रिकॉर्ड नहीं पाया है, यह अब सिविल रिकॉर्ड में पाया गया है. विश्वसनीय सूत्रों ने कहा है कि क्या खास है कि यह इंजेक्शन सिविल के रिकॉर्ड में है या नहीं, क्या अस्पताल समिति की रिपोर्ट पर विश्वास नहीं करता है. रावखंडे ने कहा कि यह कहना संभव नहीं है कि हमारे पास इंजेक्शन है या नहीं. अब इस मामले को साफ करने का समय आ गया है. 

अस्पताल दोषी नहीं

इस मामले में अस्पताल दोषी नहीं है. हमारा अच्छा रिकॉर्ड है. यह नहीं कहा जा सकता है कि हमारे पास वह इंजेक्शन है. एक बैच के हजारों इंजेक्शन निकलते हैं. पुलिस यह पता लगाएगी कि कर्मचारी इसे कहां से लाया था. 

-डॉ. रत्न रावखंडे, जिला सिविल सर्जन

अस्पताल से ली जा रही संदिग्धों की जानकारी

केवल समाचार के आधार पर शिकायत दर्ज की गई है. उस आधार पर कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है. अस्पताल प्रशासन से मामले और इसमें शामिल संदिग्ध कर्मचारियों के बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है. उसके बाद ही अपराध दर्ज किया जा सकता है. 

-हेमंत सोमवंशी, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक