नाशिक. यह दावा करते हुए कि कोरोना के टीकाकरण में आयुर्वेद को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है, स्थानीय डॉक्टरों द्वारा ओझर से नाशिक तक की पद यात्रा सोमवार (30 नवंबर) को निकाली गई थी. इस मांग पर ध्यान आकर्षित करने के लिए कि आयुर्वेद को भी कोरोना के उपचार में शामिल किया जाना चाहिए. जबकि कोरोना का संक्रमण फिर से बढ़ रहा है, देश में कोरोना टीकाकरण की बात की जा रही है.
ओझर के कुछ डॉक्टरों ने मोर्चे में भाग लिया, यह मांग करते हुए कि आयुर्वेद को स्वदेशी टीकों की तैयारी में शामिल किया जाना चाहिए. सामाजिक कार्यकर्ता स्व. राजीव दीक्षित के जन्म और मृत्यु की वर्षगांठ के अवसर पर स्वदेशी टीका तैयार करने के लिए आयुर्वेद को भी शामिल किया जाए, ऐसी मांग करते हुए ओझर से मोर्चा दोपहर करीब साढ़े 12 बजे सीबीएस स्थित शहीद स्मारक पहुंचा.
आयुर्वेद को नहीं भुलाया जा सकता
एड. केशव अहेर ने कहा कि देश में कोरोना के लिए एक एलोपैथिक वैक्सीन विकसित करने पर काम चल रहा है. हालांकि भारत में एक महत्वपूर्ण चिकित्सा विज्ञान, आयुर्वेद को नहीं भुलाया जा सकता. नींबू के पत्ते, शहतूत, तुलसी, पंचगव्य से कोरोना की बीमारी को कम किया जा सकता है. इस मोर्चे मे केशव अहेर, सीमा पाटिल, संजय भारवीरकर, डॉ. रविशंकर कुटे, डॉ. संतोष वैद्य, डॉ. संदीप खोड़े, तुषार पाटिल, डॉ. हनुमंत ठोके, डॉ. निलेश थोरात, डॉ. मधुकर फडोल और संतोष सोनवणे ने भाग लिया.