मालेगांव सेंट्रल में कब बनेगा अच्छा अस्पताल?

Loading

  • इलाज के अभाव में सैकड़ों लोगों ने गंवाई जान
  • सुरक्षा समूह ने उठाई थी कमिश्नर के खिलाफ आवाज

मालेगांव. हाल के दिनों में कोरोना महामारी के दौरान मालेगांव शहर में निजी अस्पताल बंद थे. सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों, कर्मचारियों एवं चिकित्सा सुविधाओं की कमी थी. स्वास्थ्य विभाग और निगम की उपेक्षा की गई थी. शहर में अराजकता, भय और आतंक था डायबिटीज, किडनी, हार्ट, डायलिसिस, ब्लड प्रेशर और अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीज इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे थे. 

इस बीच हमारे निर्वाचन क्षेत्र के सांसद और नाशिक, धुलिया शहर ने भले ही हमारे मरीजों का इलाज करने से इनकार कर दिया. मालेगांव निगम के कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों को पूरा करने से इनकार कर दिया था, जिसके खिलाफ सुरक्षा समूह मालेगांव ने आवाज़ उठाई थी और कमिश्नर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी.

स्वास्थ्य मंत्री ने किया था दौरा

तालाबंदी के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने मालेगांव का दो बार दौरा किया और शहर की स्थिति का निरीक्षण किया. उनके आगमन पर मौजूदा और पूर्व विधायक दोनों लड़ रहे थे. सत्तारूढ़ दल के मंत्री भी मालेगांव में मौजूद थे. मालेगांव शहर ने समय पर उचित इलाज नहीं मिलने के कारण सैकड़ों कीमती जीवन खो दिए, जिसमें शहर के प्रसिद्ध धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक व्यक्तित्व शामिल हैं. क्या उनका जीवन बेकार है?  क्या उन्हें न्याय नहीं मिलेगा? 

यहां के लोगों ने दूसरे शहरों में सेवाएं दी

मालेगांव के लोग, जिस शहर के लोगों को इलाज से मना कर दिया गया था, वहां के लोगों ने अधिक इलाज किया. इसके विपरीत, हमारे शहर के डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता, सामाजिक संगठन आदि अपनी सेवाएं देने के लिए नाशिक, भिवंडी और अन्य शहरों में जा रहे हैं. मालेगांव शहर से अन्य शहरों में सहायता और राहत पहुंचाई जा रही है. 

मालेगांव पैटर्न चर्चा में

मालेगांव पैटर्न पूरे देश में फैल गया है. कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने भी दौरा किया. क्या इतने सारी मौतों के बाद भी सरकार मालेगांव केंद्रीय निर्वाचन क्षेत्र में एक सुविधा संपन्न अस्पताल का निर्माण नहीं करेगी? यह शहर के नेतृत्व के लिए अफ़सोस की बात है कि इतनी कठिनाइयों, जानमाल के नुकसान के बावजूद वे अब तक शहर के लिए कुछ नहीं कर पाए हैं.