मजदूरों के गांव जाने से रुका 500 इमारतों का काम

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गुढी पाड़वा व अक्षय तृतीया पर बड़े पैमाने पर बिकते हैं फ्लैट

नाशिक. कोरोना के प्रकोप से निर्माण क्षेत्र में कार्यरत अधिकांश मजदूर अपने गांव वापस लौट गए हैं. इसके चलते 500 निर्माणाधीन इमारतों का कामकाज रुक गया है. जिन निर्माण व्यवसायियों ने मजदूरों के लिए निर्माणाधीन इमारत परिसर में ही निवास, भोजन, पानी की व्यवस्था की है, ऐसी इमारतों का कामकाज शुरू है. परंतु ठेकेदार के माध्यम से काम करने वाले 50 से 60 प्रतिशत मजदूरों के गांव चले जाने से निर्माणाधीन इमारतों का काम बंद है. गुढ़ी पाडवा सहित अक्षय तृतीया पर मकानों की बड़े तौर पर खरीदारी होती है.

इस अवसर का लाभ उठाने के लिए दिवाली के बाद निर्माण कार्य की रफ्तार बढ़ गई थी. शहर के पाथर्डी, नाशिकरोड, गंगापुर रोड, गंगापुर गांव, विल्होली, सातपुर, अंबड, म्हसरुल, मखमलाबाद, आडगांव, औरंगाबाद रोड, चेहडी आदि परिसर में बड़े तौर पर निवासी और व्यावसायिक प्रकल्प शुरू हैं, जिसके लिए गवंडी, मिस्त्री, सुतार, प्लास्टर आदि कामकाज करने के लिए परप्रांतीय मजदूर सस्ते में उपलब्ध होते हैं. इसलिए सभी प्रकल्पों में ठेकेदारों के माध्यम से हजारों परप्रांतीय मजदूर काम कर रहे थे. कोरोना संक्रमण से सभी मजदूर भयभीत होकर अपने गांव निकल गए. लॉकडाउन के चलते डेढ़ माह से बंद होने वाले निर्माण कार्य को अब प्रशासन ने शर्तों के आधार पर अनुमति दे दी है. शर्तों में मजदूरों के लिए निवास, भोजन, पानी, लाइट, बाहर से आने वाले मजदूरों के लिए सुरक्षित यातायात व्यवस्था, सुरक्षित अंतर, सेनेटाइजेशन आदि शामिल है. जिन निर्माण व्यवसायियों ने निर्माणाधीन इमारत परिसर में सभी व्यवस्था की है, वहां पर ही काम शुरू है.

30 प्रतिशत महंगा हुआ सीमेंट

 निर्माण क्षेत्र की स्थिति के बारे में अधिक जानकारी देते हुए निर्माण व्यवसायी सुनील भायभंग ने कहा कि लॉकडाउन के चलते सीमेंट, स्टील का उत्पादन कम हुआ है. परिणामस्वरूप मांग अधिक और उत्पादन कम होने से सीमेंट के दाम 30 प्रतिशत तो स्टील के दाम 20 प्रतिशत बढ़ गए हैं. रेती की तो पहले से समस्या है. पहले से ही मजदूरों की कमी और अब निर्माण सामग्री महंगी होने से निर्माण खर्च बढ़ गया है. इससे भविष्य में मकानों की कीमत बढ़ने वाली है. मजदूर अपने गांव गए हैं, लेकिन वहां पर कामकाज न होने से वह दोबारा लौटने वाले हैं. तब तक हमें उनकी राह देखनी होगी.