नाशिक. नाशिक (Nashik) में सीधे नासा के सैटेलाइट (NASA Satellite) की मदद से खेती की जा रही है। नासा के पूर्व शोधकर्ता (Former NASA Researcher) डॉ. पराग नार्वेकर (Dr. Parag Narvekar) की पहल से जिले के किसानों ने तकनीक पर आधारित उन्नत कृषि की ओर रुख करना शुरू कर दिया। पराग नार्वेकर ने किसानों के लिए बहुत सस्ती कीमत पर एक अत्याधुनिक स्वचालित मौसम स्टेशन (Automatic Weather Station) विकसित किया है।
अत्याधुनिक स्वचालित मौसम स्टेशन का निर्माण
पिछले कुछ सालों में देश में प्रकृति की सनक बढ़ी है, कभी सूखा, कभी गीला सूखा, कभी तेज बारिश और ओलावृष्टि, कभी बे मौसम का मौसम। किसान वर्तमान में अप्रत्याशित मौसम और जलवायु परिवर्तन से पीड़ित हैं। किसान परेशानी में आगए हैं, क्योंकि हाथ आया रोजगार भी मौसम के कारण छिन रहा है। अगर किसानों को मौसम का पूर्वानुमान मिल जाए तो नुकसान से बचा जा सकता है। सह्याद्री फार्म के एक कृषि विज्ञानी सचिन वालुंज ने बताया कि किसानों की इस समस्या को देखते हुए नासा के पूर्व शोधकर्ता डॉ. पराग नार्वेकर ने सह्याद्री फार्म की मदद से, एक अत्याधुनिक और स्वचालित मौसम स्टेशन विकसित किया है, जिसे किसान वहन कर सकते हैं।
किफायती दरों पर मौसम विज्ञान स्टेशनों का निर्माण
अत्याधुनिक और सामान्य मौसम केंद्र किसानों की आर्थिक पहुंच में होगा। तीन प्रकार के सस्ते मौसम केंद्रों की निर्माण डॉ. पराग नार्वेकर ने किया है। डॉ. नार्वेकर ने नाशिक में ही मौसम केंद्र को लगने वाली सामग्री का भी निर्माण कर के मौसम केंद्र सामान्य किसान की पहुंच में अर्थात केवल 10 हजार से 60 रुपयों में उपलब्ध कराया है। अत्याधुनिक कंप्यूटर, सैटेलाइट और डिजिटल सिस्टम का उपयोग करके सटीक खेती संभव हो गई है। किसान सुयोग सोमवंशी ने कहा कि ये मौसम विज्ञान केंद्र हवा की गति, दिशा, प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक सूर्य की किरणों, वाष्पीकरण और वायुदाब की जानकारी भी प्रदान करता है। इसे पांच किलोमीटर की परिधि तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इसलिए, इसका उपयोग व्यापक क्षेत्र के लिए मौसम पूर्वानुमान के लिए किया जा सकता है, जिससे एक ही समय में कई किसानों को लाभ होगा। इस मौसम केंद्र के उपयोग से किसानों में इस केंद्र को स्थापित करने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। अब तक जिले में 40 केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं और 400 से अधिक किसानों ने अपने व्यक्तिगत मौसम केंद्रों के लिए आवेदन किया है।