बारिश में विलंब : बुआई के कार्य प्रभावित

वाशिम. जून का प्रथम पखवाड़ा समाप्त होने को है. इसके बाद भी बारिश की शुरूवात नहीं होने से खरीफ की बुआई काम देर हुई है. गत शुक्रवार से मृग नक्षत्र शुरू हो गया है. लेकिन अभी तक बारिश नहीं होने से

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वाशिम. जून का प्रथम पखवाड़ा समाप्त होने को है. इसके बाद भी बारिश की शुरूवात नहीं होने से खरीफ की बुआई काम देर हुई है. गत शुक्रवार से मृग नक्षत्र शुरू हो गया है. लेकिन अभी तक बारिश नहीं होने से जिले भर की बुआई का कार्य प्रभावित हो गए है. किसानों के साथ ही आम नागरिकों को बारिश की प्रतीक्षा है. 7 जून के बाद मानसून की बारिश आती है. लेकिन इस वर्ष मानसून देर से आने से किसानों की आंखे आसमान पर टिकी है. गत सप्ताह बाजार में कृषि सामग्री खरीदी करने के लिए कृषि केंद्रों पर किसानों की भीड़ नजर नहीं आ रही थी. गत वर्ष जून से अक्टूबर के दरम्यान बारिश हुई थी. इसी दरम्यान जून महीने में ही किसानों ने खरीफ की बुआई का प्रांरभ भी कर दी थी. मानसून 15 जून के बाद जिले में आने की संभावना से अब किसानों ने कृषि संबंधी गतिविधियां कुछ तेज कर दी है.

खाद, बीज खरीदी में जुटे किसान
फसलों के लिए खेतों कार्य पूर्ण कर अब बाजार में बीज, खाद, कीटकनाशक खरीदने वाले किसानों की चहल पहल बाजार में बढ़ गई है. व्यापारियों ने भी प्रर्याप्त माल का संग्रह कर लिया है. वर्षा शुरू होने के बाद वाहन व अन्य कठिनाईयों से बचने के लिए कुछ किसान खाद, बीज खरीदी कर रहे है. बाजार में सभी किस्म के बीज, खाद व कीटकनाशक उपलब्ध है. पिछले कुछ वर्षों से जिले में कपास की बुआई बहुत कम हो गई है.

सोयाबीन फसल की ओर रुझान
किसान नगद फसल के रूप में माने जाने वाले सोयाबीन फसल की ओर आकर्षित हुए है. इस वर्ष जिले में खरीफ के लिए 4.15 लाख हेक्टयर पर बुआई का नियोजन कर इसमें सोयाबीन बुआई का क्षेत्र सबसे अधिक याने 2 लाख 90 हजार हेक्टयर नियोजित किया गया है. जिले का मौसम सोयाबीन के लिए पोषक होने से प्रति एकड़ 25 से 30 क्विंटल उत्पादन होने की संभावना किसानों व्दारा व्यक्त की जा रही है. मृग नक्षत्र में शुरु होने के पहले दिन पर वातावरण बदला था. जिससे बारिश होगी ऐसी अपेक्षा लोगों को थी. लेकिन कुछ भागों में ही मामूली बारिश हुई. विगत दो तीन दिनों से कड़ी धूप होने से गर्मी से लोग परेशान हो रहे है.