By नवभारत | Updated Date: Jun 18 2019 2:44PM |
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नई दिल्ली/मुंबई. शिवसेना ने अपने मुखपत्र में कहा है कि जिसने भी राम मंदिर का विरोध किया, वह जमींदोज हो गए. ममता बनर्जी को दुर्बद्धि आ गई. श्रीराम का नारा देने वालों को उन्हीं की सरकार ने अपराधी ठहरा दिया. यह सफलता अभूतपूर्व ही नहीं बल्कि विरोधियों को जमींदोज करनेवाली है, जिसने राम मंदिर का विरोध किया वे नष्ट हो गए. राम के नाम पर समुद्र में पत्थर भी तर गए. रामसेतु खड़ा हो गया. उसी राम के नाम से आज की दिल्ली सरकार भी तर गई. प. बंगाल में जाकर अमित शाह ने ’जय श्रीराम’ का नारा दिया और प्रभु श्रीराम ने कमाल कर दिया.
उत्तर प्रदेश में ’बाबरी भक्त’ अखिलेश-मायावती एक हो गए. राम मंदिर के लिए इन दोनों का विरोध था. इसलिए ’जय श्रीराम’ का नारा देनेवाले 61 सांसदों को जीत दिलाकर भाजपा को पूर्ण बहुमत दिला दिया. ये प्रभु श्रीराम का भंडार है. जो भाजपा और शिवेसना को प्रसाद स्वरूप मिला. अब वनवास के राम को मुक्त कराने की जिम्मेदारी किसकी? तो शत-प्रतिशत भाजपा और शिवसेना की ही है. नीतीश कुमार व रामविलास पासवान को भी सेक्युलरवाद के नाम पर राम मंदिर के मुद्दे से भागना संभव नहीं होगा. उनकी जीत में भी राम-नाम का हिस्सा है. जो राम का नहीं, वो काम का नहीं, ऐसा निर्णय जनता ने ही दिया है. राम मंदिर का मुद्दा कोर्ट में अटका है. हमारे लिए राम मंदिर ये राजनीति नहीं अस्मिता का विषय है.
कोर्ट का निर्णय जो होना होगा, होगा पर पूरा देश राम मंदिर के साथ है. जनता ने लोकसभा चुनावों के जरिए निर्णय दिया है. राम मंदिर की बाबत सर्वोच्च न्यायालय को जो निर्णय देना होगा वो देगा, उसे बाद में देखा जाएगा. कानून के दायरे में रहकर राम मंदिर का मसला हल करेंगे, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं. प्रधानमंत्री के तौर पर उन्हें कानून की भाषा ही बोलनी पड़ेगी यह समझना चाहिए. पर मोदी ये प्रखर हिंदुत्ववादी हैं वे छुपे हिंदुत्ववादी न होकर खुले तौर पर हिंदुत्ववादी हैं. 350 सांसदों का बहुमत ही राम मंदिर का जनादेश है. मंदिर की दिशा में सरकार को ही अब कदम आगे बढ़ाना चाहिए. अयोध्या के श्रीराम का वनवास खत्म होना चाहिए. श्रीराम ने हमें 350 सांसद दिए. सत्ता दी. हम उन्हें उनके जन्मस्थान पर एक हक की छत भी नहीं दे सकते?