By नवभारत | Updated Date: Jul 12 2019 6:14PM |
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बंगलुरू. कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि वह सदन में विश्वासमत हासिल करना चाहते हैं और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार से इसके लिये समय तय करने का अनुरोध किया है.विधानसभा के 11 दिवसीय सत्र के पहले दिन सदन की बैठक में मुख्यमंत्री ने सत्तारूढ़ गठबंधन के 16 विधायकों के इस्तीफा देने की पृष्ठभूमि में यह अप्रत्याशित घोषणा की. विधायकों के इस्तीफे की वजह से सरकार का अस्तित्व खतरे में है. हालांकि, सदन में दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दिये जाने के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा यह मुद्दा उठाये जाने पर विपक्षी भाजपा ने इसकी आलोचना की. कांग्रेस के 13 और जद (एस) के 3 विधायकों समेत 16 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. उन 2 निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिन्हें हाल में मंत्री बनाया गया था.
कुमारस्वामी ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा, इन घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में मैंने यह फैसला किया है कि मुझे विश्वास मत का प्रस्ताव लाना चाहिए. मैं आपसे इसके लिये समय देने का अनुरोध करता हूं. उन्होंने कहा, यह ऐसा अवसर है कि मुझे कहना ही होगा कि मैं तभी मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकता हूं जब मुझे सदन का विश्वास हासिल हो. इस पृष्ठभूमि में मैं इस स्थान पर बैठकर अपने पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहता. उन्होंने कहा कि उन्होंने ‘स्वेच्छा' से विश्वासमत हासिल करने का फैसला किया है. कुमारस्वामी ने कहा कुछ विधायकों के कदम के चलते मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम की वजह से यह भ्रम पैदा हुआ है. मैं हर परिस्थिति के लिये तैयार हूं और मैं यहां सत्ता से चिपके रहने के लिये नहीं हूं.सत्तारूढ़ गठबंधन के पास विधानसभा अध्यक्ष के अलावा 116 (कांग्रेस - 78, जदएस - 37 और बसपा - एक) विधायकों का समर्थन है.
हालांकि, मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले दो निर्दलीय विधायकों को मिलाकर भाजपा के पास 107 विधायक हैं. 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिये 113 विधायकों का समर्थन होना चाहिए.अगर उन 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो गठबंधन का आंकड़ा 100 हो जायेगा. इस घटनाक्रम पर भाजपा नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री के. एस. ईश्वरप्पा ने कहा कि सत्र दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के लिये था लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने विश्वासमत के बारे में बोला. ईश्वरप्पा ने कहा, मुख्यमंत्री को दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि देनी चाहिए. उन्हें सोचना होगा कि श्रद्धांजलि देने की प्रक्रिया के बीच विश्वासमत हासिल करने की बात करना कैसे न्यायोचित है.