By नवभारत | Updated Date: Dec 2 2019 9:39PM |
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इस्लामाबाद. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के म्युजियम में भगवान बुद्ध के सिर की एक दुर्लभ कलाकृति प्रदर्शन के लिए रखी गई है. स्वात घाटी क्षेत्र से खुदाई में मिली इस कलाकृति को मूर्तिकला का बेहतरीन नमूना कहा जा रहा है. तीसरी से चौथी सदी के दौरान निर्मित इस कलाकृति को बीती सदी के छठे दशक में इटली के पुरातत्वविद गिसेप तुसी ने खोजा था.
इस्लामाबाद म्यूजियम के निदेशक अब्दुल गफूर लोन ने कहा कि स्वात के चूना पत्थर से बनी भगवान बुद्ध की यह मूर्ति दुर्लभ है. इसमें बुद्ध के सौम्य चेहरे और जूड़े में बंधे बालों को दर्शाया गया है. प्राचीन काल में हमलावरों से बचाने के लिए ऐसी मूर्तियों को बौद्ध मठों के अंदर जमीन में गाड़ दिया जाता था. उन्होंने कहा कि आमतौर पर भगवान बुद्ध की मूर्तियां तक्षशिला और अफगानिस्तान में पाई जाती हैं.
स्वात से मिली इस कलाकृति में उनके बालों को सिर के पीछे की ओर लपेटा गया है. झुकी हुई आंखें और सौम्य चेहरा इसे उनकी अन्य मूर्तियों से विशिष्ट बनाता है. लोन ने कहा कि आमतौर पर बुद्ध की प्रतिमाओं में उनके कानों में कुंडल देखे जाते हैं पर इस कलाकृति में उनके कान सामान्य हैं. कुषाण काल से संबंधित यह असाधारण कलाकृति बौद्ध स्तूप से भी पुरानी है.
प्रदर्शनी में इसके अलावा टेराकोटा से बनी बुद्ध की तीन अन्य कलाकृतियां भी प्रदर्शित की जा रही हैं. तीनों दुर्लभ कलाकृतियां दूसरी से तीसरी सदी हैं. उनकी खुदाई ब्रिटिश पुरातत्वविद सर जॉन मार्शल ने की थी. इनमें शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में बुद्ध के सिर को तराशने पर विशेष ध्यान दिया गया है और महीन सामग्री का भी उपयोग किया गया है. लोन ने कहा कि जब हूणों ने बौद्ध मठों और स्तूपों को जलाना शुरू कर दिया था तो लोगों ने इन्हें जमीन के नीच दफनाकर संरक्षित करने का प्रयास किया था.