बिहार में अभी से बिछने लगी चुनावी बिसात

यद्यपि बिहार विधानसभा का चुनाव होने में अभी कई महीने बाकी हैं लेकिन वहां अभी से राजनीतिक सरगर्मी देखी जा रही है. राजद नेता तेजस्वी यादव बेरोजगारी हटाओ यात्रा निकालने जा रहे हैं जबकि चुनाव रणनीतिकार

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यद्यपि बिहार विधानसभा का चुनाव होने में अभी कई महीने बाकी हैं लेकिन वहां अभी से राजनीतिक सरगर्मी देखी जा रही है. राजद नेता तेजस्वी यादव बेरोजगारी हटाओ यात्रा निकालने जा रहे हैं जबकि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने संकेत दिया है कि वे 100 दिनों का ‘बात बिहार की’ अभियान शुरू करेंगे. इनके पहले छात्र नेता कन्हैया कुमार ने राज्य व्यापी जनगणमन यात्रा की शुरुआत की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए का जबरदस्त वर्चस्व रहा था. जदयू, बीजेपी और लोजपा के एनडीए ने राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 39 सीट जीती थीं तथा 243 विधानसभा क्षेत्रों में आगे था. इसके बावजूद दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत को देखते हुए बिहार में विपक्षी पार्टियों को नया जोश आ गया है. प्रशांत किशोर अभी हाल तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीशकुमार के निकट सहयोगी थे. उनकी सलाहकार फर्म आई-पीएसी ने अनेक चुनाव अभियानों की सफल रणनीति बनाई. 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव तथा 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के पीछे प्रशांत किशोर की ही रणनीति बताई जाती है. अब वे अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन व जगनमोहन रेड्डी के पसंदीदा रणनीतिकार बने हुए हैं. पीके ने कहा कि उनका नीतीशकुमार से सवाल है कि 15 वर्ष के उनके सत्ता में रहने के बावजूद बिहार पिछड़ा हुआ क्यों है? 2005 में विकास के मामले में बिहार 22वें स्थान पर था और अब भी उसी स्थान पर है. यह स्पष्ट है कि लालू के जेल जाने के बाद से आरजेडी में कोई प्रभावी नेतृत्व नहीं है. बिहार में महत्वाकांक्षा रखने वाले बीजेपी नेताओं को झटका देते हुए अमित शाह ने कुछ माह पूर्व घोषित किया था कि नीतीशकुमार ही बिहार में एनडीए का नेतृत्व करेंगे. ‘सुशासन बाबू’ कहलाने वाले नीतीशकुमार तथा बीजेपी के सुशील मोदी को नए सिरे से मजबूती दिखानी होगी. तेजस्वी यादव का भरोसा बेरोजगारी मुद्दे को लेकर है. कन्हैया कुमार की सीएए विरोधी रैलियों में भीड़ अवश्य हुई मगर उसका वोटों में बदल पाना संदिग्ध है.