कैब के चलते शिवसेना-कांग्रेस में रार, सोनिया गाँधी ने दी गठबंधन छोड़ने की धमकी

नयी दिल्ली, महाराष्ट्र के राजनीतिक धरातल पर नेताओं और राजनीतिक पार्टियों की कुश्ती अपने चरम पर है। एक तरफ जहाँ महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना के साथ गठबंधन सरकार में युति मित्र है। लेकिन जैसा की

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नयी दिल्ली, महाराष्ट्र के राजनीतिक धरातल पर नेताओं और राजनीतिक पार्टियों की कुश्ती अपने चरम पर है। एक तरफ जहाँ महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना के साथ गठबंधन सरकार में युति मित्र है। लेकिन जैसा की शिवसेना के कद्दावर नेता संजय राउत ने कहा है कि, ‘ राजनीती में कुछ अंतिम नहीं होता नहीं होता, चलता रहता है’। ठीक वैसे ही अब शिवसेना-कांग्रेस के मध्य एक नयी राजनीतिक तकरार शुरू हो गयी है। 

ताजा घटनाक्रम के अनुसार कांग्रेस ने अपने नए गठबंधन सहयोगी शिवसेना द्वारा लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी खासी नाराज हैं. वहीं सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने इस मुद्दे पर शिवसेना के शीर्ष नेतृत्व को संदेश दिया है कि वे महाराष्ट्र में गठबंधन से बाहर आ सकते हैं। कांग्रेस ने ये भी शिवसेना को स्पष्ट कहा है कि शिवसेना का ये रुख गठबंधन के लिए हानिकारक साबित हो सकता है और साथ ही कुछ मंत्रालय हमारे लिए कोई अहमियत नहीं रखता। विदित हो कि शिवसेना ने जहाँ नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया है वहीं लोकसभा में इसको समर्थन भी दिया है। इस पर संजय राउत ने कहा था कि "हमारा रुख हमेशा घुसपैठियों के खिलाफ रहा है। मुंबई में हमने बांग्लादेशियों से सामना किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर हम हमेशा किसी भी सरकार के साथ हैं"।
 
 
लेकिन सूत्रों के अनुसार संजय राउत का ये कहना कांग्रेस को नागवार गुजरा और सोनिया गाँधी इस पर नाराज हो गयी जिसके बाद शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को स्वयं क्षतिपूर्ति के लिए मैदान में उतरना पड़ा। उन्होंने कहा की "सारी चीजें साफ होने तक इस बिल का समर्थन नहीं करेंगे। अगर किसी नागरिक को इस विधेयक से डर लग रहा है तो उसकी शंका को दूर किया जाना चाहिए। वे सभी हमारे नागरिक हैं और उन्हें अपने सवालों का जवाब मिलना चाहिए"। उन्होंने ये भी कहा कि , "अगर कोई इस बिल से असहमत है तो उसे देशद्रोही कहना उनका भ्रम है। हमने राज्यसभा में पेश होने से पहले इस बिल में सुधार की मांग की है। ये एक भ्रम है कि सिर्फ भाजपा ही देश की चिंता करती है"। इसके साथ ही संजय राउत की तरफ़ से बयान आया कि "कल जो लोकसभा में हुआ भूल जाइए"। उधर जब शिवसेना सांसद अरविंद सावंत से पूछा गया कि क्या पार्टी राज्यसभा में बिल का समर्थन करेगी तो उन्होंने कहा, अलग-अलग भूमिका होती क्या हमारी? राष्ट्र हित की भूमिका लेकर शिवसेना खड़ी रहती है इस पर किसी का एकाधिकार नहीं है। वहीं एनडीटीवी से बातचीत में अरविंद सावंत ने साफ किया है कि हमारे बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम महाराष्ट्र के लिए है। 
 
आपको बता दें कि, नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में आसानी से पास हो गया है। जहाँ कांग्रेस समेत कुछ समेत कुछ पार्टी विरोध कर रही हैं। वहीं इस विधेयक के पक्ष में जेडीयू, शिवसेना, बीजेडी और पूर्वोत्तर के कुछ दलों ने बीजेपी का साथ दिया है। लोकसभा में जहां इस बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े , वहीं विपक्ष में 80 वोट आये। कांग्रेस इस विधेयक का पुरजोर विदोध कर रही है। उनका कहना है कि यह विधेयक असंवैधानिक है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। कांग्रेस ने कहा है कि जिन आदर्शों को लेकर बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने संविधान की रचना की थी, यह उसके भी खिलाफ है। कांग्रेस ने ये दलील दी की वैसे भी नागरिकता कानून में आठ बार संशोधन किया गया है, लेकिन जितनी उत्तेजना इस बार है, उतनी कभी नहीं थी। 
 
लेकिन अब देखना है कि राज्यसभा में शिवसेना क्या करती है? वहीं अब राज्यसभा में शिवसेना के रुख पर जनता के साथ कांग्रेस भी नजर रखेगी। वहीं सूत्रों के खबर है कि आज रात तक महाराष्ट्र के 6 मंत्रियों के विभागों का ऐलान किया जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस-शिवसेना का ये साथ इस विधेयक के चलते कितना चलता है, ये तो वक़्त पर निर्भर है। फिलहाल आज राजयसभा में मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करेगी।